तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर Syed Dabeer Hussain - RE
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तेजी से पिघल रहे हिमालय के ग्लेशियर, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

वैज्ञानिकों ने इस मामले में चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन के चलते ये ग्लेशियर पहले के मुकाबले अब तेजी से पिघलने लगे हैं।

Vishwabandhu Pandey

राज एक्सप्रेस। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) के द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले दशक के मुकाबले साल 2011 से लेकर साल 2020 तक हिमालय के ग्लेशियर पिघलने की दर में तेजी आई है। वैज्ञानिकों ने इस मामले में चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन के चलते ये ग्लेशियर पहले के मुकाबले अब तेजी से पिघलने लगे हैं। इन ग्लेशियर का इतनी तेजी से पिघलना मानवजाति के सामने भविष्य में एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है। ऐसी स्थिति में चलिए जानते हैं यह पूरा मामला क्या है?

ग्लेशियर पिघलने में आई तेजी

इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बीते दशक के मुकाबले बताए गए दशक में ग्लेशियर 65 फीसदी तेजी से पिघल रहे हैं। इस स्थिति को वैज्ञानिकों ने चिंताजनक बताया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि यह प्रक्रिया आगे चलकर कितनी तेज होगी इस बारे में अभी बताया नहीं जा सकता है। लेकिन यह आगे चलकर कई आपदाओं का कारण बन सकता है।

कितने लोगों की जल आपूर्ति करता है ग्लेशियर?

गौरतलब है कि हिमालय पर स्थित ग्लेशियर दुनियाभर में लगभग 240 मिलियन लोगों की जल आपूर्ति करने के साथ ही, नदी और घटियों के आसपास रहने वाले करीब 1.65 बिलियन लोगों के लिए भी जल का प्रमुख स्त्रोत हैं। इन ग्लेशियर की मदद से ही गंगा, सिंधु, येलो, मेकांग, इरावली आदि नदियों की भी जल आपूर्ति होती है। इस बीच ICIMOD का यह कहना है कि जिस हिसाब से ग्लेशियर पिघल रहे हैं,इस सदी के अंत तक वे अपनी वर्तमान मात्रा का करीब 80 फीसदी तक गंवा सकते हैं।

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