राज एक्सप्रेस। देश में इन दिनों वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और लॉकडाउन भी 3 मई तक के लिए लागू है। ऐसे में जो जहां है वहीं फंसा हुआ है। इसी बीच भारतीय मछुआरें भी ईरान में फंसे हुए हैं एवं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई हुई है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई :
सुप्रीम कोर्ट में ईरान से भारतीय मछुआरों को वापस लाने और उन तक आर्थिक मदद पहुंचाने संबंधी याचिका पर न्यायमूर्ति एन. वी. रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की, इस दौरान उन्होंने कहा, फिलहाल हम कोई आदेश नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने ये बात उस वक्त कही, जब सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा कि, ईरान में भी लॉकडाउन है और वहां अंतरराज्यीय सीमा सील है। भारतीय दूतावास दूरदराज के इलाकों में रह रहे इन लोगों के संपर्क में है। सभी लोग लांग टर्म वीजा पर हैं, उनके पास भोजन, व्हाट्सएप्प कनेक्शन है।
वहीं, याचिकाकर्ता सांता मुत्थुलिंगम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने दलील देते हुए कहा कि, उनके पास इस बात के सबूत मौजूद है, वहां भारतीय मछुआरों के खाने-पीने की चीजों के बिल बढ़ाकर चार्ज किये जा रहे हैं।
विरोधाभास का उठाया मसला :
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका में लगाये गये आरोपों और शंकरनारायण की दलीलों में विरोधाभास का मसला उठाया। इसके बाद कोर्ट की ओर से ये कहा गया कि, कोरोना की समस्या दुनिया भर में है और सरकार जितना कर सकती है कर ही रही है।न्यायमूर्ति रमन ने कहा, ''वे (भारतीय मछुआरे) लंबे वीजा अवधि पर हैं, वे व्हाट्सएप के जरिये संपर्क में हैं ही। सरकार को मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार कदम उठाने दीजिए।
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