गांधीनगर, गुजरात। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कम (Bhupendra Patel) ने सोमवार को यहां कहा कि प्राकृतिक खेती पीढ़ियों तक लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायी बनेगी। भूपेंद्र पटेल ने जिला अधिकारियों को प्रेरक संबोधन देते हुए कहा कि राज्य सरकार (State Government) की कल्याणकारी योजनाएं पांच-पच्चीस वर्षों तक फलदायी- लाभदायी हो सकती हैं। लेकिन प्राकृतिक खेती पद्धति के लिए राज्य सरकार के प्रयासों से लोगों को पीढ़ियों तक लाभ पहुँचाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के बैक टू नेचर (Back to Nature) के मंत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति के पास अनेक समस्याओं का समाधान है। आजकल किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में गंभीर बीमारियां देखने को मिल रही हैं। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग ने स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा कर दी हैं। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक खेती पद्धति बहुत आवश्यक है।
राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी (Acharya Devvrat) ने जिला तंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों से प्राकृतिक खेती के अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सबके साथ सबके विकास के लिए सबके विश्वास व सबके साथ से प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के लिये सभी के साझा प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह निश्चित है की प्राकृतिक खेती पद्धति को अपनाने से राज्य के लोगों को काफी लाभ होगा।
कृषि मंत्री राघव जी पटेल ने सभी जिलाधिकारियों तथा जिला विकास अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती करें। इसके लिए राज्य सरकार का कृषि विभाग पूरी लगन से काम कर रहा है। देशी गाय आधारित प्राकृतिक खेती के लिए किसानों-पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार प्रतिमाह 900 रुपए देती है। प्राकृतिक खेती ही हमारा भविष्य है। उन्होंने गुजरात को प्राकृतिक खेतीमय बनाने और इसे प्राकृतिक खेती में नंबर वन बनाने की अपील की।
राज्य के मुख्य सचिव राजकुमार ने कहा कि किसान आखा तीज (अक्षय त्रितीया) से खेती का काम शुरू करते हैं। आइए इस बार हम प्राकृतिक खेती के प्रचलन को बढ़ाना शुरू करें। डांग जिले से प्रेरणा लेकर अन्य जिलों में भी सम्पूर्ण प्राकृतिक खेती की जाए इसलिए तेज़ी से काम करें। गुजरात के 70 प्रतिशत गांव ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं उन्होंने किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए विशेषज्ञों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का उपयोग करने का सुझाव दिया।
उन्होंने प्राकृतिक कृषि उपज को बेहतर मार्केट दिलवाने तथा प्राकृतिक कृषि उत्पाद अधिक क्रय शक्ति के साथ उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए कलेक्टर- डीडीओ को आपूर्ति श्रृंखला का उचित और कुशल प्रबंधन करने का सुझाव दिया। उन्होंने सभी से नए जोश के साथ इस कार्य में शामिल होने का अनुरोध किया ताकि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती करें और गुजरात को सर्वोच्च स्थान मिले।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. के. राकेश ने कहा कि वर्तमान में गुजरात में 4,32,000 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। राज्य सरकार अब तक 12,36,000 किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दे चुकी है। देशी गाय आधारित प्राकृतिक खेती करने के लिए गाय के प्रबंधन हेतु राज्य सरकार 1,86,000 किसानों को प्रतिमाह 900 रुपए दे रही है। डांग के अलावा, देवभूमि द्वारका, नर्मदा, गिर सोमनाथ और आनंद जिलों में अपेक्षाकृत अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर-जिला विकास अधिकारियों से इस कार्य में तेजी लाने का अनुरोध किया। इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में कृषि राज्य मंत्री बचुभाई खाबड, मुख्यमंत्री के मुख्य अतिरिक्त सचिव के. कैलाशनाथन, एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी (आत्मा) के विशेष कार्य अधिकारी दिनेशभाई पटेल और निदेशक प्रकाशभाई रबारी भी उपस्थित रहे।
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