नर्मदा, गुजरात। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) ने राज्य के नर्मदा जिले में केवडिया स्थित स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी परिसर में राज्य सरकार के 10वें चिंतन शिविर का शुक्रवार को एकता नगर में प्रारंभ करते हुए कहा कि 'मैं नहीं हम' के भाव के साथ आयोजित होने वाले चिंतन शिविर शासन में बड़ा बदलाव लाने के सक्षम माध्यम बने हैं।
भूपेंद्र पटेल ने इस संदर्भ में कहा कि चिंतन शिविर के लिए धारणाएं भले ही अलग हों लेकिन परिणाम गणित के उदाहरण की तरह एक और सटीक होता है। जिसमें गणना का जवाब एक ही आता है। ऐसे चिंतन शिविर में जब हम सभी के मंथन की दिशा एक होती है, तब 'सबका साथ, सबका विकास' की भावना अवश्य ही चरितार्थ होती है।
उन्होंने शिविर की शुरुआत में प्रस्तुत मनुष्य गौरव गान- 'मनुष्य तू बड़ा महान है' के भाव का अनूठी शैली में वर्णन करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति में कुछ करने का भाव होता है, 'मुझे भी कुछ बेहतर करना है' ऐसी चाह होती है, तो परिणाम अवश्य ही मिलता है। उन्होंने इस संबंध में रामसेतु के निर्माण में एक छोटी सी गिलहरी और जंगल में लगी आग को बुझाने में चोंच में पानी भरकर ले जाने वाली चिड़यिा के योगदान का भावनात्मक उदाहरण दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में विकास की प्रतिबद्धता और आम आदमी की सुख-सुविधा का भाव अंतर्निहित होता है। इस तरह के चिंतन शिविर की चर्चा-मंथन उसे बाहर लाने का काम करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी चर्चाओं के दौरान यह आवश्यक है कि विचारों की अभिव्यक्ति खुले मन से हो, अन्यथा योजनाओं और विकास कार्यों का धरातल पर समुचित तरीके से अमल नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश और दुनिया में गुजरात के विकास की नई ऊंचाई स्थापित हुई है, जिसकी नींव में विकास की राजनीति और चिंतन शिविर के सामूहिक विचार व चिंतन हैं।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि श्री मोदी के शासन में आने से पहले राजनीति में विकास शब्द का कोई स्थान नहीं था। अब प्रधानमंत्री के चलते विकास की राजनीति विकसित हुई है, विकास के आधार पर ही जनाधार और जनमत का निर्माण हो रहा है। अलग-अलग राज्यों के बीच विकास के मामले में तुलना और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात विकास के ज्यादातर मानकों में अग्रणी है, गुजरात प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने यह अनुरोध किया कि जब हमारे पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है, तब यह सुनिश्चित करें कि एक भी व्यक्ति लाभ से वंचित न रह जाए। उन्होंने आगे कहा कि सरदार पटेल ने आजादी के बाद भारत को एक सूत्र में पिरोया, नरेन्द्र मोदी उसे श्रेष्ठ बनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की संकल्पना को साकार करने के लिए देश के राज्यों के बीच उनकी अच्छी बातों का परस्पर आदान-प्रदान करने की व्यवस्था विकसित की है।
उन्होंने सौराष्ट्र तमिल संगम और माधवपुर घेड के मेले को इसका अच्छा उदाहरण बताते हुए कहा कि इसके परिणामस्वरूप गुजरात और अन्य राज्यों के बीच सांस्कृतिक मामलों के साथ-साथ व्यापार-वाणिज्य का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि जो अच्छा है, उसका लाभ सभी लोगों को मिले। प्रधानमंत्री की मंशा इस तरह 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के निर्माण की है।
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