सरकारी वीडियो चर्चा को मिलेगा सुरक्षित आधार। (सांकेतिक चित्र) - Social Media
भारत

Zoom, Google Meet के विकल्प बतौर सरकार ने चुने Zoho, HCL और अन्य 8

“दरअसल सरकार ने जूम, गूगल मीट सरीखी विदेशी कंपनियों को टक्कर देने और स्वदेशी तंत्र विकसित करने के लिए Zoho, HCL और 8 अन्य कंपनियों को मिशन के लिए चुना है।”

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • जूम, गूगल मीट को मिलेगी टक्कर

  • दस कंपनियां बनाएंगी कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म

  • सरकारी वीडियो चर्चा को मिलेगा सुरक्षित आधार

राज एक्सप्रेस। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए स्वदेशी तंत्र विकसित करने केंद्र की मोदी सरकार ने शुरुआत कर दी है। सुरक्षा के मोर्चे पर चौकन्नी सरकार ने इस काम के लिए जोहो और एचसीएल के अलावा अन्य 8 कंपनियों को चुना है।

सनद रहे पीपललिंक, एरिया टेलिकॉम, सायबर हॉरिजोन कॉर्पोरेशन, दर्श इंस्ट्राइव सॉफ्टलैब्स को दूसरों के मुकाबले चयन में तरजीह दी गई है।

काम का दाम -

चयनित 10 कंपनियों में प्रत्येक को प्लेटफॉर्म ईजाद करने के लिए अंतर राष्ट्रीय सामान्यीकृत अनुपात में 5 लाख रुपये मिलेंगे। प्रक्रिया की अगली कड़ी में सरकार दस में से 3 स्टार्टअप्स का चयन कर प्रोसेस आगे बढ़ाएगी। सरकार इन कंपनियों को प्रोटोटाइप बनाने के लिए (INR) 20 लाख रुपये प्रदान करेगी।

दरअसल सरकार ने जूम, गूगल मीट सरीखी विदेशी कंपनियों को टक्कर देने और स्वयं का स्वदेशी तंत्र विकसित करने के लिए Zoho, HCL और 8 अन्य कंपनियों को मिशन के लिए चुना है।

मेड इन इंडिया –

भारतीय सरकार ने भारत में निर्मित (मेड इन इंडिया) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तंत्र विकसित करने के लिए दस कंपनियों को चुना है। इसमें *सास प्रमुख जोहो और तकनीकी दक्ष एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसे बड़े नाम प्रमुख हैं।

* SaaS का मतलब-

दरअसल सॉफ्टवेयर एज़ अ सर्विस (SaaS /sæs/) को ही संक्षिप्त में सास कहते हैं। इसे सब्सक्राइबवेयर या रेंटवेयर के नाम से भी जाना जाता है।

इनसे मुकाबला -

सरकार द्वारा चयनित इन कंपनियों को जूम, गूगल हैंगाउट्स (Google Hangouts), माइक्रोसॉफ्ट टीम्स (Microsoft Teams) और अन्य प्रचलित तकनीकी तंत्रों की तरह प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए सरकार से 5 लाख रुपये हासिल होंगे।

चयन की पहली कड़ी -

सरकारी स्तर पर चयन का फिलहाल इसे प्रथम चरण माना जाना चाहिए। स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए इस प्राथमिक प्रक्रिया के उपरांत शासन तंत्र स्तर पर चयनित 10 कंपनियों मे से 3 स्टार्टअप्स को चुना जाएगा। चुने गए तीनों स्टार्टअप्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तंत्र विकसित करने के ऐवज में सरकार से 20 लाख रुपये मिलेंगे।

सरकार को इन से आस -

स्वदेशी कॉन्फ्रेंसिंग तंत्र विकसित करने के मामले में सरकार ने जिन कंपनियों पर भरोसा किया है उनमें जोहो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज के अलावा, पीपललिंक, एरिया टेलिकॉम, सायबरहॉरिजोन कॉर्प, इन्सट्राइव सॉफ्टलैब्स, पीपुल लिंक यूनिफाइड कम्युनिकेशंस, सोलपेज आईटी सॉल्यूशंस, टेक्जेंट्शिया सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉलीज और डाटा इंगजेनियस के नाम शामिल हैं। चयनित कंपनियों से जुड़े विश्वस्त सूत्र के अनुसार आगे चलकर सरकार तीन कंपनियों में से एक का चयन करेगी।

सरकार करेगी उपयोग -

साथ ही स्वदेशी रूप से विकसित मंच (वीडियो प्लेटफॉर्म) का उपयोग केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जूम जैसे उपलब्ध वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म्स के विकल्प के रूप में किया जाएगा।

सूत्र ने बताया कि जूम का विकल्प विकसित करने के लिए सरकार की पहल पर VideoMeet प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है।

लाभ यह -

एक्सपर्ट्स का मानना है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिग का स्वदेशी समाधान कई मामलों में लाभदायक होगा। ऐसे में भारत के संपूर्ण डाटा को स्थानीय स्तर पर होस्ट किया जा सकेगा। इसके अलावा सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्वामित्व वाले मंच की तुलना में स्वदेशी उपकरण का उपयोग करने में भी सहज महसूस कर सकती है।

फाइनल कॉन्ट्रैक्ट -

तीसरे राउंड के बाद सरकार सबसे अच्छे समाधान का चयन करेगी जिसे अंतिम अनुबंध दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि यह अनुबंध फिलहाल 4 सालों की शर्तों पर आधारित होगा।

कार्य प्रक्रिया पर नजर -

इसके पहले चरण में सरकार द्वारा इस कार्य पर 1 करोड़ रुपये खर्च किये जा सकते हैं। जबकि बाकी के 10 लाख रुपयों का कंपनियों को भुगतान आगामी तीन सालों तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तंत्र के रखरखाव और संचालन के लिए किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि चयनित कंपनियां दूसरों को समाधान बेचने के लिए भी स्वतंत्र रहेंगी।

पिछले माह शुरुआत -

आईटी मंत्रालय के तले सरकार ने अप्रैल में यह परियोजना शुरू की थी। इसके जरिये भारत सरकार सॉफ्टवेयर उत्पादों पर राष्ट्रीय नीति के तहत भारतीय सॉफ्टवेयर उत्पादों को बढ़ावा देना चाह रही है।

साफ दृश्यता पर फोकस -

इसमें इस बात का खास ध्यान दिया जा रहा है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कम बैंडविड्थ क्षेत्रों में भी बगैर किसी रुकावट साफ दृश्यता के साथ संचार में सक्षम हो। इसके अलावा सरकार अलग से भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म बना रही है।

इन को जिम्मेदारी-

सरकार ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DoT) को सरकारी अधिकारियों, न्यायपालिका और जनता द्वारा उपयोग किए जाने के लिए एक सुरक्षित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म को विकसित करने की जिम्मेदारी दी है।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल एजेंसी फीड और प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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