नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार को तीर्थनगरी हरिद्वार में गंगा नदी पर खनन के मामले में एक ठोस निगरानी तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की युगलपीठ ने आज कनखल हरिद्वार स्थित मातृसदन संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद ये निर्देश दिए हैं। उन्होंने साथ ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से पूछा है कि उसने गंगा नदी के एक हिस्से में अवैध खनन पर रोक लगाई है या खनन पर पूरी तरह से रोक जारी की है। तब तक रायवाला से भोपुर तक गंगा नदी पर खनन पर रोक जारी रहेगी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया है कि एनएमसीजी ने वर्ष 2018 के आदेश को संशोधित कर खनन की अनुमति दे दी है, इसीलिए सरकार ने रायवाला से भोपुर तक खनन की अनुमति दी है, जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि सरकार का आकलन गलत है। एनएमसीजी ने खनन पर लगी रोक को हटाया नहीं है, बल्कि उसमें कुछ अन्य शर्तों को भी लागू कर दिया है। नयी शर्तों के अनुसार रायवाला से भोपुर तक पवित्र गंगा नदी में खनन कार्य पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही अवैध खनन माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए एक निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी जिला अधिकारी या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की होगी। इसके अलावा रायवाला से भोपुर तक गंगा नदी के तट से तीन से पांच किलोमीटर के अंदर स्टोन क्रेशर स्थापित न करने के लिए बफर जोन घोषित किया जाय।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इसका अनुपालन अभी तक नही किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि सरकार ने इसके विपरीत वर्ष 2019 में यहाँ खनन की अनुमति दे दी है। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया है कि मातृ सदन के प्रत्यावेदन पर एनएमसीजी की ओर से स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2018 के नियम यथावत रहेंगे और गंगा नदी पर खनन प्रतिबंधित रहेगा। इसके बाद अदालत ने सरकार को गंगा नदी पर खनन व अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए न्यायिक व प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी की अगुवाई में एक निगरानी तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 5 जनवरी, 2023 को होगी। तब तक रायवाला से भोपुर तक गंगा नदी पर खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। यहां बता दें कि मातृसदन की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि रायवाला से भोपुर तक गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर खनन किया जा रहा है। इससे गंगा के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है। एनएमसीजी के प्रतिबंध के बावजूद वन विकास निगम की ओर से खनन कार्य करवाया जा रहा है।
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