राज एक्सप्रेस। आखिरकार भारत के कदम के चांद पर पड़ चुके हैं। बुधवार का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दिन रहा। भारत के चंद्रयान-3 ने बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है। इसी के साथ भारत चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा और चांद के दक्षिणी हिस्से में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। अब प्रज्ञान रोवर अगले 15 दिनों तक चांद से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी धरती पर भेजेगा। दूसरी तरफ चांद पर फतेह करने के बाद अब इसरो की नजरें सूरज पर हैं। तो चलिए जानते हैं कि आने वाले समय में इसरो किन मिशन को अंजाम देने वाला है?
सोमनाथ ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में अंतरिक्ष एजेंसी का ध्यान चंद्रयान -3 की सफलता सुनिश्चित करने पर रहा है, इसरो कुछ अन्य बड़ी प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहा है जो आने वाले महीनों के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस मिशन के साथ, भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में एक योग्य खिलाड़ी के रूप में अपना नाम मजबूत किया है।
चाँद पर जाना और सॉफ्ट लैंडिंग करना एक कठिन मिशन है। किसी भी देश के लिए, यहां तक कि सबसे परिष्कृत तकनीक के साथ भी, इसे हासिल करना बहुत मुश्किल है, लेकिन हमने इसे केवल दो मिशनों में पूरा किया है। पहले मिशन में थोड़ी चूक हुई थी और अब हमने इसे पूरी तरह से हासिल कर लिया है।सोमनाथ, अध्यक्ष, इसरो
चांद पर लैंड करने के बाद इसरो का अगला लक्ष्य सूरज का अध्ययन करना है। इसके लिए इसरो सितंबर 2023 में आदित्य एल-1 को लॉन्च कर सकता है। आदित्य-एल1 उपग्रह जिसका नाम सूर्य देव के नाम पर रखा गया है। आदित्य-एल1 को भारतीय रॉकेट ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्वारा ले जाया जाएगा। उपग्रह को शीघ्र ही रॉकेट के साथ एकीकृत किया जाएगा। यह देश का पहला अंतरिक्ष अभियान होगा जो सूर्य का अध्ययन करेगा। इसके जरिए सूर्य की गतिविधियों को समझने में आसानी होगी।
इसरो के अनुसार, अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पहले लैग्रेंज बिंदु, एल1 के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। L1 बिंदु के आसपास उपग्रह को बिना किसी ग्रहणरूकावट/ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ है।
इसरो दुनिया को नापने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर मिशन निसार पर काम कर रहा है। यह दोनों एजेंसी मिलकर पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र, समुद्र का स्तर, बर्फ द्रव्यमान, प्राकृतिक आपदा, भूजल, भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी चीजों का अध्ययन करने के लिए साल 2024 में अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट यानि निसार लॉन्च करेगी।
इसरो मिशन गगनयान पर भी तेजी से काम कर रहा है। इसके तहत तीन सदस्यों के एक दल को कुछ दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और उन्हें वापस पृथ्वी पर सफलतापूर्वक लाया जाएगा।
इसरो दो यानों को अंतरिक्ष में जोड़ने की महारत हासिल करना चाहता है। इसके लिए वह स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट पर तेजी से काम कर रहा है। अगर इसरो इसमें सफल होता है तो इससे आने वाले समय में अंतरिक्ष में मौजूद किसी यान में ईधन भरने के लिए इसरो दूसरा यान भेज पाएगा।
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