राष्ट्रपति मुर्मु ने उत्कल विश्वविद्यालय के 53वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
उत्कल विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से पूरे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है।
हमें एक बहुत समृद्ध संस्कृति विरासत में मिली है और हमें इसे संरक्षित करना होगा।
भुवनेश्वर, ओडिशा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने से मिलने वाले हर व्यक्ति में मानवीय गुण, विनय, नम्रता, प्रेम और करुणा विकसित करें। राष्ट्रपति मुर्मु ने यहां उत्कल विश्वविद्यालय के 53वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छात्रों को याद रखना चाहिए कि मानव अस्तित्व के लिए शांति और सद्भाव आवश्यक है। उन्होंने कहा, “आपकी करुणा न केवल मनुष्यों, बल्कि हमारे ग्रह पर रहने वाले सभी जीवित और निर्जीव प्राणियों के लिए भी होनी चाहिए।”
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्कल विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से न केवल ओडिशा में बल्कि पूरे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। यह अपने परिसर, पर्यावरण और शिक्षण परंपरा के मामले में देश का एक अग्रणी विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा, “उत्कल विश्वविद्यालय का छात्र होना सौभाग्य की बात है। यहां के कई छात्रों ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करके उत्कल विश्वविद्यालय को सम्मान दिलाया है।”
उन्होंने कहा कि उत्कल विश्वविद्यालय के तहत मान्यता प्राप्त कॉलेजों में दो लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इन छात्रों में लड़कियों का प्रतिशत लड़कों से अधिक है। उन्होंने कहा कि जब वह स्कूल में थी, तो उसके शिक्षक अक्सर उसे अपनी मां, मातृभूमि और मातृभाषा से प्यार करना सिखाते थे। उन्होंने कहा “हमारी मातृभाषा में शिक्षा हमें हमारी संस्कृति से जोड़ती है। हमें एक बहुत समृद्ध संस्कृति विरासत में मिली है और हमें इसे संरक्षित करना होगा तथा भारतीय ज्ञान परंपरा को संरक्षित करने के लिए अपनी जड़ों को पहचानना होगा।”
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