दिल्ली, भारत। सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने आज 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की। द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति निर्वाचित होना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है।
कहां हुआ शपथ समारोह :
दरअसल, निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का शपथ समारोह संसद भवन में हुआ, यहां सर्वोच्च संवैधानिक पद संभालने वाली पहली आदिवासी महिला एवं देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने भारत के 15वीं राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। द्रौपदी मुर्मू के शपथ लेते ही पूरा संसद भवन तालियों की आवाज से गूंज उठा। द्रौपदी मुर्मू के शपथ समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
शपथ के बाद द्रौपदी मुर्मू का पहला संबोधन :
शपथ के बाद द्रौपदी मुर्मू ने अपने पहले संबोधन में यह खास बातें भी कही। उन्होंने अपने संबोधन में कहा- जोहार ! नमस्कार ! मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूँ। आपकी आत्मीयता, आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे। भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।
मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण कर लेगा। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू
आगे उन्होंने यह भी कहा- ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूँ जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।कल यानि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम, दोनों का ही प्रतीक है। मैं आज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू :
द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्य हैं। उड़ीसा के मयुरभंज में उनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ था। उन्होंने रामादेवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडूपेशा और पति का नाम श्याम चरण मुर्मू है। उनकी एक बेटी भी है जिसका नाम इतिश्री मुर्मू है।
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