सोशल मीडिया को भूत लग गया, आपको पता चला? Syed Dabeer Hussain - RE
भारत

इस दिवाली सोशल मीडिया को लग गया है भूत, आपने देखा क्या?

त्यौहारों का मौसम आते ही सोशल मीडिया को कुछ हो जाता है। कोई भूत-वूत लग जाता है शायद और वायरल होना शुरू होते हैं मीम्स... इस दिवाली क्या वायरल हो रहा है?

Author : प्रज्ञा

राज एक्सप्रेस।

"दिवाली पे पटाखे फोड़ने से प्रदूषण होता है और नए साल पर पटाखे फोड़ने से जैसे ऑक्सीजन निकलती है..."
दिवाली मीम
"जो लोग पूरा साल एसी में रह कर ओज़ोन लेयर की धज्जियां उड़ाते हैं, आज अचानक उन्हें पॉल्यूशन फ्री दिवाली की फिक्र होने लगी..."
दिवाली मीम

बधाईयों और शुभकामनाओं का ज़माना अब पुराना हो चुका है, उनकी जगह मीम्स/ट्रोल्स ने हथिया ली है। त्यौहारों का मौसम आते ही सोशल मीडिया को कुछ हो जाता है। कोई भूत-वूत लग जाता है शायद और वायरल होना शुरू होते हैं मीम्स... इस बार क्या वायरल हो रहा है?

वायरल तो कुछ भी हो जाता है, मोनाली ठाकुर का गाना हो या डब्बू अंकल का डांस, वाट्सएप पर आया कोई मैसेज या कोई फेसबुक पोस्ट या वीडियो, कोई इंस्टा स्टोरी या ट्विटर पर ट्रेंड हुआ कोई हैशटेग पर इन सबमें सबसे ज़्यादा कुछ वायरल होता है तो वो हैं, मीम्स।

कुछ भी हो, दुनिया चाहे इधर से उधर हो जाए, सोशल मीडिया पर अगर उसके मीम्स नहीं बने तो वो कोई बड़ी बात नहीं।

कुछ भी हो, दुनिया चाहे इधर से उधर हो जाए, सोशल मीडिया पर अगर उसके मीम्स नहीं बने तो वो कोई बड़ी बात नहीं। राम मन्दिर निर्माण हो या फ्रांस में हुआ बम बिस्फोट, न्यूज़ीलैंड में चर्च पर हुआ हमला हो या वहां की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न की प्रेग्नेंसी, सेक्रेड गेम्स का गायतोंडे या मिर्ज़ापुर के चचा, मी टू मूवमेंट हो या किसी सेलेब्रिटी की शादी...

जन्म से लेकर मौत तक और सूई से लेकर हवाईजहाज़ तक यहां हर चीज़ और परिस्थिति से सम्बन्धित मीम्स हैं। खासतौर पर त्यौहारों के, वो भी दिवाली के...

दिवाली पर वायरल एक और ट्रोल देखिए-

अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को अस्थमा है और उन्होंने एक वीडियो में दिवाली पर लोगों से पटाखे न जलाने की अपील की थी। जिसके बाद उनको काफी ट्रोल किया गया। उनकी शादी में फूटे पटाखों पर भी उन्हें काफी ट्रोल किया गया था।

हर साल दिवाली पर लोगों से अपील की जाती है कि वो पर्यावरण का ध्यान रखते हुए, पटाखे न फोड़ें, वायु और ध्वनि प्रदूषण न फैलाएं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बार भी लोगों को सचेत करने के लिए जागरुकता अभियान चलाया है। वो सोशल मीडिया के माध्यम से भी इसे चला रहे हैं। कई गैर सरकारी संस्थाएं, प्रसिद्ध लोग, सरकारी विभाग आदि पर्यावरण संरक्षण के समर्थन में लोगों को जागरुक करने का काम करते हैं।

दिवाली की ही तरह होली, क्रिसमस आदि त्यौहारों पर भी इस तरह की अपील्स होती हैं। पानी बर्बाद न करने और मोमबत्ती न जला कर, उन्हें किसी गरीब व्यक्ति के घर देने की बात कहते हुए कई पोस्ट्स किए जाते हैं। इन सबमें मज़ेदार होता है इन पर बने मीम्स देखना।

एक तरफ तो त्यौहारों पर पर्यावरण संरक्षण के लिए मीम्स बनाए जाते हैं तो वहीं एक तरफ ऐसे मीम्स भी हैं जो कहते हैं कि क्या साल भर में एक त्यौहार के दिन ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण याद आता है?
दिवाली मीम

दोनों ही अपनी-अपनी जगह ठीक दिखाई देते हैं। साल भर में त्यौहार वाले दिन ही सबसे अधिक पर्यावरण को प्रदूषित किया जाता है।

छठ पूजा पर नदियों का पूजन हो या दिवाली पर पटाखे जलाने हों, होली पर पानी की बर्बादी हो या क्रिसमस पर मोमबत्ती जलानी हों, इन सबसे पर्यावरण को अत्याधिक नुकसान होता है पर ये बात भी उतनी ही अहम है कि अगर हम त्यौहार न मनाएं तो हमारी संस्कृति को कैसे बचा पाएंगे?

अगर होली के दिन मुंह से पैर तक रंगे नहीं तो क्या होली खेली? और दिवाली पर जब तक फुलझड़ी न जलाई तो क्या दिवाली मनाई?

त्यौहारों पर, किसी खास मौके पर, शादी में, मन्दिरों में चढ़ावा देने में, मजारों पर चादर चढ़ाने में, कभी भी हमें ये ख्याल रखना ही चाहिए कि हमारे किसी भी काम से पर्यावरण को तो नुकसान नहीं पहुंच रहा या हम जो कुछ धर्म के नाम पर दान दे रहे हैं वो किसी की मदद कर सकता है। प्रकृति का ध्यान रखना हमारा परम कर्तव्य है क्योंकि जीने के लिए सभी ज़रूरी वस्तुएं हमें पर्यावरण से प्राप्त हो रही हैं।

ये तो हुई ज़िम्मेदारी की समझदारी भरी बातें (जिन पर हमें अमल करना चाहिए) लेकिन अगर दिवाली पर पटाखे नहीं जलाएं और होली पर रंग नहीं खेलें तो आखिर करें क्या? मुझे लगता है ये मीम बनाने वाले को भी मेरे जैसे ही ये सवाल परेशान कर रहा होगा।

दिवाली मीम

ये अच्छा तरीका है लेकिन इसमें पॉलिथिन है। ये तो पर्यावरण को बहुत ज़्यादा नुकसान पहुंचाती है।

दिवाली मीम

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दिवाली मीम

इस पर कोई विचार?

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