लगातर मजदूरों की मौत Kavita Singh Rathore
भारत

भारत में हाथ से सीवर-सेप्टिक टैंक की सफाई पर बैन, फिर भी जा रही लगातर मजदूरों की जान, 5 साल में 339 मौत

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। पिछले दिनों मध्यप्रदेश के मौरेना से सेफ्टी टैंक की सफाई के दौरान, जहरीली गैस के संपर्क में आने से 5 मजदूरों की मौत होने का एक मामला सामने आया था। वे सभी मजदूर फूड फेक्ट्री के टैंक की सफाई करने बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के उतरे थे। गौर करने वाली बात यह है कि, सीवर टैंक की सफाई के दौरान मजदूरों की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसी साल देश के अलग-अलग हिस्सों में सेफ्टी टैंक की जहरीली गैस से कई मजदूरों की मौत हो चुकी है। आज जानेंगे क्या है इस समस्या से जुड़े कानुन और कैसे हो रहा कानूनों का उलंघन -

भारत में है कानून?

दरअसल, भारत में कई तरह के कानून हैं, लेकिन उनपर कोई ध्यान नहीं देता और इन्हीं में एक मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013) भी मौजूद है। जो हमारे सेफ्टी टैंक या सीवेज की सफाई से जुड़ा हुआ है।

क्या कहता है कानून ?

इस कानून के अंतर्गत हाथ से किसी भी प्रकार के मल की सफाई करवाने पर मनाई है। साथ ही यह बात भी कही गई है कि, सेफ्टी टैंक की सफाई मशीन या किसी उपकरण से ही कराई जानी चाहिए। सफाई के दौरान किसी भी प्रकार से मजदूरों का टैंक के मल से फीज़िकल कॉन्टेक्ट नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा सफाई करने वाले कर्मियों के पास सुरक्षा के साधन जैसे ग्लव्स, मास्क आदि होने चाहिए। ऐसा ना होने पर मजदूरों के कॉन्ट्रेकटर या जो भी उनसे काम करा रहा है, उसे कानून के अंतर्गत अपराधी माना जाएगा। कानून के अनुसार उसे अधिकतम 2 साल की जैल या 2 लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सजा सुनाई जा सकती है।

नियमों के बाद भी लगातार बढ़ रहे मौत के मामले :

हाथ से सेफ्टी टैंक साफ ना करने संबंधी कानून भले ही भारत में बने हुए हो, लेकिन इसके बावजुद भी लोग हाथ से सेफ्टी टैंक साफ कर रहे हैं और लोग इसपर रोक नहीं लगाते। बल्कि दिन प्रतिदिन इससे होने वाली मौतों के आंकड़ें बढ़ते जा रहे हैं। भारत सरकार के आकड़ों के अनुसार सीवर की सफाई के दौरान 2022 में कुल 66 लोगों की मौत हुई है। यह आंकड़ा 2021 में 58 और 2020 में 22 मौतों से कई ज्यादा है। जिसका मतलब साफ है कि सरकार और प्रशासन को इसे और अधिक गंभीरता से देखने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि 2023 में भी लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे है।

5 सालों में सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के दौरान गई 339 जानें :

केंद्र सरकार द्वारा पिछले 5 सालों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान गई जानों का आंकड़ा लोकसभा में जारी किया। सरकार ने आंकड़ा जारी करते हुए बताया है कि, इस दौरान सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कम से कम 339 लोगों की मौत हुई है। लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने आंकड़ा बताया।

  • 2023 में 9 मौतें अब तक

  • 2022 में 66 मौतें

  • 2021 में 58 मौतें

  • 2020 में 22 मौतें

  • 2019 में 117 मौतें

  • 2018 में 67 मौतें

सीवर सफाई के दौरान यहां भी हो चुकी है मजदूरों की मौत-

4 अप्रैल 2023- हरियाणा में 4 की मौत

हरियाणा के जखोड़ा में अप्रैल में एक सेफ्टी टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैस का रिसाव हुआ। इसमें काम कर रहें चार मजदूरों ने अपनी जान गंवा दी थी।

4 अप्रैल, 2023- गुजरात में भी 3 सेनिटेशन वर्कर्स की मौत

इसी दिन गुजरात के भरुच में भी सेफ्टी टैंक की सफाई के दौरान जहरीली गैस के संपर्क में आने से 3 मजदूरों की मौत हो गई थी।

1 मई, 2023- तमिलनाडु में 2 मजदूरों की मौत

तमिलनाडु के तिरुवल्लुवर के एक प्राइवेट स्कुल में सीवर की सफाई के दौरान दो मजदूरों की जहरीली गैस से मौत हो गई।

16 मई, 2022- नोइडा में 2 मजदूरों की मौत

नोएडा में भी दो मजदूर बिना सुरक्षा उपकरणों के सेफ्टी टैंक की सफाई करने उतरे थे। इस दौरान जहरीली गैस के संपर्क में आने से वे बेहोश हुए और अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

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