Supreme Court Directs Baba Ramdev To Personally Present In Court Raj Express
दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का दिया निर्देश

Supreme Court Directs Baba Ramdev To Personally Present In Court : न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामले की सुनवाई की।

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • पतंजलि के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण को भी कोर्ट में पेश होने का निर्देश।

  • अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस का जवाब न देने पर कोर्ट नाराज।

Supreme Court Directs Baba Ramdev To Personally Present In Court : नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल न करने पर उन्हें यह निर्देश दिया गया है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने टिप्पणी की कि, रामदेव और पतंजलि के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण प्रथम दृष्टया ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3 और 4 का उल्लंघन कर रहे हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद की दवाओं के विज्ञापनों पर अस्थायी रोक लगा दी थी और भ्रामक दावे करने के लिए इसके संस्थापकों रामदेव और बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया था। शीर्ष अदालत ने इस बात पर नाराजगी जताई थी कि पतंजलि झूठा दावा कर रही है कि, उसकी दवाएं कुछ बीमारियों का इलाज करती हैं, जबकि इसके लिए कोई साक्ष्य नहीं है।

पीठ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बाबा रामदेव और उनकी कंपनी द्वारा कोविड-19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले पतंजलि आयुर्वेद उत्पादों के प्रत्येक विज्ञापन में किए गए झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की बात भी कही थी।

न्यायमूर्ति अमानुल्लाह की अगुवाई वाली पीठ ने तब इस बात पर जोर दिया था कि इस मुद्दे को एलोपैथी, आधुनिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक के बीच बहस तक सीमित नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने पतंजलि को भविष्य में झूठे विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने और मीडिया में ऐसे दावे करने से बचने का भी निर्देश दिया था, क्योंकि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के संबंध में समाधान की आवश्यकता थी।

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