हाइलाइट्स :
बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका की गई थी दायर।
फ़िलहाल ये मामला विदेशी अदालत में लंबित।
दो जज पीठ ने की मामले की सुनवाई।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता की याचिका गुरुवार को ख़ारिज कर दी है। आरोपी निखिल गुप्ता की ओर से कांसुलर, कानूनी सहायता चेक गणराज्य में प्रत्यर्पण पर याचिका दायर की थी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने की है।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि, यह एक "संवेदनशील" मामला है और इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने के लिए केंद्र सरकार पर निर्भरता है। पीठ का कहना है कि, मामला विदेशी अदालत में लंबित है और हम विदेशी अदालत के न्यायक्षेत्र का सम्मान करते हैं।
यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है :
मामले की सुनवाई पीठ ने निखिल गुप्ता के परिजनों का प्रतिनिधित्व कर रहे सी आर्यमा सुंदरम से कहा कि, 'हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है, और सभी पहलू वियना कन्वेंशन के तहत आते हैं। यदि कांसुलर पहुंच नहीं दी गई है, तो अधिकारियों से सीधे संपर्क किया जा सकता है। हालांकि, आपकी अपनी तारीखों की सूची के अनुसार, काउंसलर पहुंच आपको दो बार दिया गया था।'
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर :
सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus) दायर की गई थी। वर्तमान में पन्नुन की हत्या की साजिश में शामिल होने के मामले में निखिल गुप्ता संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रत्यर्पण की प्रतीक्षा करते हुए चेक गणराज्य की जेल में बंद है। याचिका में बताया गया कि, 52 वर्षीय गुप्ता व्यापार यात्रा पर चेक गणराज्य में थे, जब उन्हें 30 जून को प्राग हवाई अड्डे पर अवैध रूप से हिरासत में लिया गया। निखिल गुप्ता को एकांत कारावास में रखा गया है।
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