संत रविदास मंदिर निर्माण  Sushil Dev
दिल्ली

संत रविदास मंदिर निर्माण पर संतों का सरकार को अल्टीमेटम

संत रविदास मंदिर निर्माण संबंधी विवाद इस कदर बढ़ता जा रहा है कि, देश के अन्य भूभाग से भी इस आंदोलन को बढ़ाने के समर्थन मिल रहे हैं। संत समाज ने सरकार को कार्यवाही के लिए 13 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया।

Author : Sushil Dev

राज एक्सप्रेस। दिल्ली के जंतर-मंतर पर यहां के तुगलकाबाद स्थित संत गुरू रविदास मंदिर का उसके मूल स्थान पर निर्माण के लिए बीते 30 अगस्त को शुरू हुआ अनिश्चितकालीन धरना गुरूवार 5 सितंबर 2019 को सातवें दिन समाप्त हो गया। धरने को अनेक संगठनों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने संबोधित किया और अपने-अपने संगठन या पार्टी की ओर से आंदोलन समेत उसकी मांगों का समर्थन किया। आंदोलन में शामिल हुए संतों ने सरकार को 13 सितंबर तक उनकी मांगे ना मानने पर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की घोषणा की है।

इन संतों का समर्थन :

धरने को रविदासिया समाज के डेरा बाबा लाल दास के पीठधीश्वर संत निर्मल दास, पंजाब राज्य की गुरु रविदास साधु संप्रदाय सोसायटी के अध्यक्ष बाबा महेंद्र पाल, संत जसविंदर सिंह, संत टहलदास, संभल के डेरा रविदासी महाराज के अनेक संत शामिल हुए। ज्ञात हो कि, आंदोलन को पहले ही ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा, भीम आर्मी, अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन, ऑल इंडिया चमार महासभा, बाल्मीकी महासभा, राष्ट्रीय दलित महासभा, राष्ट्रीय दलित महिला आंदोलन, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, द दिल्ली एससी वेलफेयर असोसिएशन, अंबेडकर भवन, भारतीय बौद्ध महासभा आदि समर्थन दे चुके हैं।

वाघमारे कर रहे हैं नेतृत्व :

संत गुरू रविदास के मंदिर और आश्रम को तुगलकाबाद में तोड़े जाने के खिलााफ इस आंदोलन का नेतृत्व सम्पूर्ण संत समाज के आदेश पर संत सुखदेव वाघमारे कर रहे हैं और उनके साथ आंदोलन को संगठित करने में संत बीर सिंह हितकारी, रिशिपाल, केसी रवि और प्रसिद्ध दलित ऐक्टिविस्ट अशोक भारती, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता एम आर बाली, एचसी सुमन साथ दे रहे हैं। इसके लिए सरकार को करीब एक करोड़ हस्ताक्षर सौंपने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।

10 सितंबर को माथा टेकेंगे :

आगामी 10 सितंबर को रविदासी समाज तुगलकाबाद के इस मंदिर में माथा टेकने पहुंचेंगे। वहीं देश भर के आंदोलनकारियों का 14 सितंबर को तुगलकाबाद चलो अभियान होगा। आंदोलनकारियों के मुताबिक आंदोलन की तरफ से उनकी मांग पूरी ना होने पर दोबारा सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया जाएगा।

आंदोलनकारियों की ये हैं मांगे :

संत गुरु रविदास के तोड़े गए मंदिर का उसके मूल स्थान पर निर्माण किया जाए और उसकी जमीन का मालिकाना हक गुरु रविदास जयंती समारोह समिति को सौंपा जाए।

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