Nirbhaya convict Mukesh again reached Supreme court  Priyanka Sahu -RE
दिल्ली

कानून का सहारा लेकर क्‍या फिर बच जाएंगे निर्भया के गुनहगार?

कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद अब फांसी से बचने के लिए दोषी मुकेश के वकील ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए यह मांग की है। क्‍या इस ट्विस्ट से फिर बच जाएंगे गुनहगार ?

Author : Priyanka Sahu

राज एक्सप्रेस। निर्भया केस के चारों गुनहगार कानूनी कार्यवाही के चलते पिछले दो महीने से मौत की सजा से बच रहे हैं, हालांकि जब इन दोषियों 'पवन कुमार गुप्ता, विनय कुमार शर्मा, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार' के सभी कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद जब फांसी देने का चौथा नया डेथ वारंट जारी हुआ, तो अब फिर से एक दोषी ने इस सजा से बचने के लिए यह नया ट्विस्ट चला है।

क्‍या है अब यह नया दांव?

दरअसल, निर्भया का एक गुनहगार जिसका नाम मुकेश सिंह है, इसने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए फिर से 'क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल' किये जाने की मांग की है। यह याचिका को दोषी मुकेश शर्मा के वकील एमएल शर्मा ने दाखिल की है।

याचिका में मुकेश का यह कहना है कि, उसे धमका कर दबाव में लेते हुए हड़बड़ी में उपचारात्मक याचिका दाखिल करवाई गई।

पूर्व वकील पर लगाया आरोप :

दायर याचिका के मुताबिक, मुकेश की पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर पर यह आरोप लगाया कि, ''उस पर दबाव डाल कर क्यूरेटिव याचिका दाखिल करवाई, उसे फिर से क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दाखिल करने की इजाजत दी जाए।''

बता दें कि, दिल्ली कोर्ट द्वारा 5 मार्च को ही नया व चौथा डेथ वारंट जारी किया गया है, इस वारंट के तहत चारों दोषियों को आगामी 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे फांसी देने के आदेश दिए गए हैं। अब सवाल यह उठता है कि, क्‍या फिर से निर्भया के चारों दोषी कानून को सहारा ले कर बच जाएंगे? क्‍योंकि, निर्भया केस के चारों दोषी कानून के सहारे से अब तक तीन बार मौत की सजा से बच चुके हैं।

  • निर्भया केस के चारों दोषियों को पहली बार 22 जनवरी को सुबह 6 बजे फांसी होनी थी, लेकिन टल गई।

  • इसके बाद निर्भया केस के चारों दोषियों को दूसरा डेथ वारंट जारी हुआ, इसके तहत 1 फरवरी को फांसी होनी थी, लेकिन फांसी नहीं हुई।

  • तीसरी बार फिर से निर्भया के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी हुआ और 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी होनी थी, लेकिन दोषी पवन गुप्‍ता के पास कानूनी विकल्प बचे होने के कारण फांसी टली।

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