सुप्रीम कोर्ट Raj Express
दिल्ली

कोलकाता न्यायाधीश की टिप्पणी : किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए - SC ने लिया संज्ञान

SC ने कहा कि, ये टिप्पणियां पूरी तरह से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किशोरों के अधिकारों का उल्लंघन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया, मामले में सुनवाई शनिवार को होगी।

Deeksha Nandini

हाइलाइट्स

  • वयस्क (Adult) लड़कियों के अधिकारों को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

  • कलकत्ता हाई कोर्ट न्यायाधीश ने यौन उत्पीड़न मामले में की थी टिप्पणी।

  • भारत में 2022 में हुए कुल रेप के 3447 प्रकरण दर्ज।

Kolkata Judge Comment : दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाई कोर्ट (Kolkata High Court) के न्यायाधीश द्वारा एक रेप के मामले में की गई टिप्पणी को गंभीरता से लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि, न्यायाधीश की यह टिप्पणी वयस्क अधिकारों का उल्लंघन करती है। साथ ही इस तरह की टिप्पणी करना अनुचित भी है। इस मामले सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। नोटिस का जवाब देने के लिए 4 जनवरी तक का समय दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद नई बहस छिड़ गई है। क्रमानुसार जानिए कि, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा और कोलकाता हाई कोर्ट ने किस मामले में टिप्पणी की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा :

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के कुछ हिस्से, जिसमें कहा गया था कि किशोरियों को दो मिनट के आनंद के बजाय अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए, "अत्यधिक आपत्तिजनक और पूरी तरह से अनुचित थे"। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसका विचार है कि "न्यायाधीशों से अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने या उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती है" सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ये टिप्पणियां पूरी तरह से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किशोरों के अधिकारों का उल्लंघन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया और राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को यह बताने को कहा कि क्या फैसले के खिलाफ अपील दायर की जाएगी।

कोलकाता हाई कोर्ट की टिप्पणी :

कलकत्ता हाई कोर्ट ने 19 अक्टूबर 2023 को एक यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई करते हुए लड़कियों और लड़कों को हिदायत दी थी। जस्टिस चितरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथि सेन की बैंच ने एक नाबालिक लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोपी को बरी करते हुए कहा था कि, "नाबालिक लड़की को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और युवा लड़कों को भी महिलाओं और लड़कियों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए"।

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