Mimicry Controversy In RajyaSabha Raj Express
दिल्ली

जगदीप धनखड़ ने कहा - मेरी कितनी बेज्जती करो, मुझे कोई चिंता नहीं, पर उपराष्ट्रपति का अपमान बर्दाश्त नहीं होगा

Mimicry Controversy In RajyaSabha : सभापति जगदीप धनखड़ ने मल्लिकार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह से कहा कि आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है।

Himanshu Singh

हाइलाइट्स :

  • सभापति ने कहा -खड़गे और दिग्विजय आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है।

  • उपराष्ट्रपति ने कहा - पद की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा काम है।

  • मंगलवार को मिमिक्री विवाद पर उपराष्ट्रपति ने आपत्ति जताई है।

नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का मिमिक्री विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सभापति ने कहा कि मेरी बात सुन लीजिए जगदीप धनखड़ की कितनी बेइज्जती करो, मुझे कोई चिंता नहीं है। भारत के उपराष्ट्रपति के पद की गरिमा को बनाए रखिए। उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह से कहा कि आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है।

राज्यसभा शुरू होने से पहले सभापति जगदीप धनखड़ ने मल्लिकार्जुन खड़गे और दिग्विजय सिंह से कहा आप लोग अनुभवी नेता हैं। आप मेरी बात मेरी पीड़ा सुनना नहीं चाहते। आप कहते हो 138 साल पुरानी पार्टी है। क्या हुआ ? आपको सब पता है आपकी चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है, खरगे जी की चुप्पी मेरे कानों में गूंज रही है। वह लीडर ऑफ अपोजिशन हैं, कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। सबको पता है क्या कुछ हो रहा है। आपको अंदाजा होना चाहिए कि यदि कोई व्यक्ति वीडियोग्राफी करके आनंद लेता है, अंम्प्लीफाई करता है। यह संस्कार हैं क्या अपने? यहां तक स्तर आ गया है क्या ?

सदन में दोनों तरफ से टोकाटाकी होती रही। दिग्विजय सिंह ने कहना चाहा लेकिन सभापति ने कहा मेरी बात सुन लीजिए जगदीप धनखड़ की कितनी बेइज्जती करो, मुझे कोई चिंता नहीं है। भारत के उपराष्ट्रपति की, किसान समाज की, मेरे वर्ग की, मैं पूरी आहुति दे दूंगा हवन में, मैं खुद की परवाह नहीं करता। मेरी बेइज्जती कोई करता है, मैं सहन करता हूं, खून का घूंट पीता हूं। पर मैं यह बर्दाश्त कभी नहीं करूंगा कि मैं अपने पद की गरिमा को सुरक्षित नहीं रख पाया। इस सदन की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा काम है, पद की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा काम है। आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि क्या हुआ है।

दिग्विजय सिंह ने कहा मेरी नहीं सुनेंगे? मैं आपकी सुनता आप एक फोन उठाते और मेरे से कहते। अपने बीच में फोन पर वार्तालाप दशकों तक होता रहा है। इतनी बड़ी घटना हो गई, पद की गरिमा गिर गई, किसान समाज को बेइज्जत कर दिया, मेरी जाति को अपमानित कर दिया और आप चुप है, आपके अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे)चुप है?

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