दिल्ली, भारत। केंद्र सरकार के नए कृषी क़ानूनों को लेकर एक तरफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानाें का आंदोलन लगातार जारी हैं। तो वहीं, दूसरी ओर आज 22 जनवरी को फिर विज्ञान भवन में सरकार के साथ किसान नेताओं की 11 वें दौर की वार्ता हुई।
आज की मीटिंग भी असफल :
कृषि कानूनों पर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच हुई आज की मीटिंग में भी असफल रही, क्योंकि दोनों पक्षों में वार्ता के दौरान कोई बात नहीं बनी। आज की मीटिंग में सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश मौजूद रहे। इस दौरान सरकार का किसानों को ये जवाब दिया गया-
सरकार आपके सहयोग के लिए आभारी है, कानून में कोई कमी नही है। हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था। आप निर्णय नहीं कर सके, आप अगर किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो सूचित करें। इस पर फिर हम चर्चा करेंगे, आगे की कोई तारीख तय नहीं है।केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
वार्ता के बाद किसान नेता ने कहा :
सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता ने कहा कि, ''सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया। कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की। अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
तो वहीं, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा- लंच ब्रेक से पहले, किसान नेताओं ने कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग दोहराई और सरकार ने कहा कि, वे संशोधन के लिए तैयार हैं। मंत्री ने हमें सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा और उसके बाद मंत्री बैठक से चले गए।
कल फिर हो सकती है बात :
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा- सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है। अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।