Delhi High Court Judge Muralidhar Transfer Priyanka Sahu -RE
दिल्ली

दिल्ली हिंसा की सुनवाई के बीच में ही जज मुरलीधर का ट्रांसफर

दिल्ली हिंसा के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के वक्‍त पुलिस को फटकार लगाने वाले जज मुरलीधर का स्थानांतरण पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया है, राष्ट्रपति भवन से अधिसूचना हुई जारी।

Author : Priyanka Sahu

हाइलाइट्स :

  • दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई करने वाले जज का ट्रांसफर

  • दिल्‍ली हाईकोर्ट के जज मुरलीधर का स्थानांतरण

  • दिल्ली हिंसा की सुनवाई के बाद पुलिस को लगाई थी फटकार

  • राष्ट्रपति भवन से ट्रांसफर की अधिसूचना हुई जारी

  • जस्टिस एस. मुरलीधर को भेजा पंजाब-हरियाणा HC

राज एक्‍सप्रेस। देश की राजधानी दिल्‍ली हिंसा से जुड़े मामले पर हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई थी, इस दौरान दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई गई थी। वहीं, अब यह खबर सामने आ रही है कि, पुलिस को फटकार लगाने वाले जस्टिस एस. मुरलीधर का ट्रांसफर कर दिया गया है। जानें अब जज मुरलीधर कौन सी हाईकोर्ट का कार्यभार संभालेंगे?

नोटिफिकेशन हुआ जारी :

दरअसल, जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर करने का बुधवार रात को ही नोटिफिकेशन जारी हुआ है। केंद्रीय कानून मंत्रालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, संविधान के आर्टिकल 222 के तहत मुरलीधर दिल्ली हाईकोर्ट के जज से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के तौर पर स्थानांतरण किया गया है, वह अब यहां की हाईकोर्ट का कार्यभार संभालेंगे।

मुरलीधर को ट्रांसफर किये जाने का नोटिफिकेशन

राष्ट्रपति भवन से अधिसूचना जारी :

जस्टिस एस मुरलीधर के ट्रांसफर की अधिसूचना राष्ट्रपति भवन से भी जारी हो चुकी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े के साथ परामर्श करने के बाद जस्टिस एस मुरलीधर का ट्रांसफर दिल्ली उच्च न्यायालय से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में किया है। इसके साथ ही उन्हें अपने कार्यालय का प्रभार संभालने का निर्देश भी दिया है।

जानकारी के लिए बताते चलें कि, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर केे ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कॉलीजियम ने बीते 12 फरवरी को ही सिफारिश की थी, लेकिन नोटिफिकेशन 2 हफ्ते बाद जारी हुआ है।

दिल्ली हिंसा सुनवाई पर हाई कोर्ट का कहना :

दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा था कि, ''दिल्ली में दूसरे 1984 को नहीं होने देंगे। हम अभी भी 1984 के पीड़ितों के मुआवजे के मामलों से निपट रहे हैं, ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए। नौकरशाही में जाने के बजाय लोगों की मदद होनी चाहिए, इस माहौल में यह बहुत ही नाजुक काम है, लेकिन अब संवाद को विनम्रता के साथ बनाये रखा जाना चाहिए।''

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