राज एक्सप्रेस। दिल्ली के द्वारका में 17 वर्षीय लड़की पर सरेआम हुई एसिड अटैक की घटना ने दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश को गुस्से से भर दिया है। लोगों में आरोपियों के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। भाजपा सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी आरोपियों को सरेआम फांसी की सजा देने की मांग की है। गंभीर के अलावा सोशल मीडिया पर भी बड़ी संख्या में लोग आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में आज हम जानेंगे कि एसिड अटैक की घटनाओं को रोकने के लिए हमारे देश में क्या कानून है? और एसिड अटैक के आरोपियों को कितनी सजा देने का प्रावधान है?
किस धारा के तहत दर्ज होता है केस?
देश में पहले एसिड अटैक की घटनाओं के मामले आईपीसी की धारा 326 के तहत दर्ज होते थे। लेकिन लगातार हो रही इन की घटनाओं को रोकने के लिए हमारे देश में अब अलग से कानून मौजूद है। अब इस तरह के मामलों में IPC की धारा 326A और 326B के तहत केस दर्ज किया जाता है।
कितनी सजा का है प्रावधान?
IPC की धारा 326A के तहत किसी व्यक्ति पर जानबूझकर तेजाब फेंकना एक गैर जमानती अपराध है। इसमें दोषी को कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद की भी सजा हो सकती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दोषी को कम से कम 3 लाख रूपए का जुर्माना भी देना होगा। इनमें से 1 लाख रूपया संबंधित राज्य सरकार को 15 दिनों के भीतर ही दे देना होगा। जुर्माने की रकम को पीड़िता के हवाले किया जाता है। वहीं IPC की धारा 326B तेजाब हमले की कोशिश करने के आरोप में लगाई जाती है। यह भी गैर जमानती अपराध है और इसके लिए दोषी को कम से कम पांच साल तक की सजा हो सकती है।
तेजाब खरीदने और बेचने के नियम :
देश में तेजाब की खरीदी और बिक्री के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्देश जारी किए गए हैं। इन नियमों के अनुसार नाबालिग बच्चों को तेजाब की बिक्री नहीं की जा सकती है। दुकानदार को तेजाब खरीदने वाले व्यक्ति का पूरा विवरण, पहचान पत्र की कॉपी और खरीदने की वजह रजिस्टर पर दर्ज करना होगा। मेडिकल और शिक्षा के उद्देश्य से थोक में तेजाब खरीदने से पहले SDM से आदेश लेना जरूरी होगा। अगर कोई इन निर्देशों का उल्लंघन करता है तो उस पर 50 हजार रूपए का जुर्माना भी ठोका जाएगा।
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