रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद की बैठक हुई।
बैठक में 45 हजार करोड़ रूपये के नौ रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
सभी खरीद स्वदेशी कंपनियों से की जाएंगी।
नई दिल्ली। सरकार ने सशस्त्र सेनाओं को नयी चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिए वायु सेना के लिए 12 सुखोई लड़ाकू विमानों, सेना के लिए बहुउद्देशीय हल्के बख्तरबंद वाहनों, नौसेना के लिए नई पीढ़ी के सर्वेक्षण पोत और हवा से सतह पर मार करने वाली छोटी दूरी की ध्रुवास्त्र मिसाइलों की खरीद सहित 45 हजार करोड़ रूपये के नौ रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इन प्रस्तावों को जरूरत के आधार पर खरीद की मंजूरी दी गई है। ये सभी खरीद स्वदेशी कंपनियों से की जाएंगी। ये रक्षा साजो- सामान देश में ही डिजाइन, विकसित और विनिर्मित होंगे जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
खरीद परिषद ने लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रही वायु सेना की ताकत बढ़ाने की दिशा में बड़ा निर्णय लेते हुए सभी उपकरणों से लैस 12 सुखाई -30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की खरीद को जरूरत के आधार पर मंजूरी दी है। ये विमान रक्षा क्षेत्र के सरकारी उपक्रम हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड से खरीदे जाएंगे। सेना की मैकेनाइज्ड इकाई की मारक क्षमता बढाने के लिए बहुउद्देशीय हल्के बख्तरबंद वाहनों और एकीकृत निगरानी तथा लक्ष्य प्रणाली की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।
खरीद परिषद ने तोपों तथा राडारों की तेजी से मोर्चों पर तैनात करने के काम में आने वाले हाई मोबिलिटी व्हीकल (एचएमवी) तथा तोपों को खींच कर ले जाने वाले गन टोइंग वाहनों की खरीद के प्रस्ताव को भी जरूरत के आधार पर स्वीकार किया है। नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के सर्वेक्षण जहाजों की खरीद को भी मंजूरी दी गई है जिससे नौसेना के हाइड्रोग्राफी अभियानों की क्षमता बढ जायेगी। इसके अलावा लक्ष्य को सटीक तरीके से भेदने और अभियानों की विश्वसनीयता बढाने के वास्ते वायु सेना के लिए डोर्नियर विमानों की वैमानिक प्रणाली में सुधार तथा स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच एमके-4) के लिए हवा से सतह पर मार करने वाली करने वाली छोटी दूरी की निर्देशित ध्रुवास्त्र मिसाइल की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।
बैठक में राजनाथ सिंह ने कहा कि अब स्वदेशीकरण की दिशा में लक्ष्यों को बढाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, “आईडीडीएम परियोजनाओं के लिए 50 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री की सीमा के बजाय, हमें न्यूनतम 60-65 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का लक्ष्य रखना चाहिए।”
रक्षा मंत्री ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष, तीनों सेनाओं के प्रमुखों, रक्षा सचिव और रक्षा अधिग्रहण महानिदेशक को भारतीय विनिर्माताओं से बातचीत कर के देश में विनिर्मित की जाने वाली हथियार प्रणालियों में स्वदेशी सामग्री की न्यूनतम सीमा को और बढाने की दिशा में कार्य करने को कहा है।
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