हाइलाइट्स
साल 1997 में क्रिस्टोफ ब्रेगलर, मिशेल कोवेल और मैल्कम स्लेनी ने किया था डीपफेक का प्रयोग।
डीपफेक तकनीक की सहायता से फिल्म 'फास्ट एंड फ्यूरियस' में लीड एक्टर पॉल वॉकर की जगह उनके भाई ने निभाई थी भूमिका।
डीपफेक पीड़ित आईटी एक्ट के तहत कर सकता है शिकायत।
Deepfake Viral Videos : दिल्ली। आज कल देश में एक शब्द काफी सुर्ख़ियों में है, वो है डीप फेक। इससे , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) समेत फिल्म एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना और कैटरीना कैफ भी प्रभावित हुए है।डीपफेक की शुरुआत मनोरंजन की दुनिया में सहूलियत के लिए की गई थी लेकिन आज इसका (AI तकनीक का) सहूलियत से ज्यादा दुरूपयोग किया जा रहा है। डीपफेक धीरे-धीरे बॉलीवुड की दुनिया से राजनीति की तरफ बढ़ रहा है। डीपफेक के दुरूपयोग के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी चिंता जताई है। वहीं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, डीपफेक हम सभी के लिए एक बड़ा मुद्दा है। हमने हाल ही में सभी बड़े सोशल मीडिया फॉर्मों को नोटिस जारी किया है, और उनसे डीपफेक की पहचान करने के लिए कदम उठाने को कहा है।
क्या है डीपफेक
डीपफेक" AI के उपयोग से तैयार किया जाता है, जिसमें किसी अन्य व्यक्ति A के वीडियो/ ऑडियो और फोटो को किसी दूसरे व्यक्ति B से परिवर्तित कर देता है। जो देखने में एक दम ओरिजिनल लगता है और इस कंटेंट के माध्यम से लोग आसानी से गुमराह हो जाते है और आसानी से उस वीडियो को सच मान लेते है।
डीपफेक का 1997 में हुआ था पहला प्रयोग :
साल 1997 में क्रिस्टोफ ब्रेगलर, मिशेल कोवेल और मैल्कम स्लेनी ने इस तकनीक की मदद से एक वीडियो में विजुअल से छेड़छाड़ की और एंकर द्वारा बोले जा रहे शब्दों को बदल दिया था इसे एक प्रयोग के तौर पर किया गया था। हॉलीवुड फिल्मों में इस तकनीक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता था। कई बार शूटिंग के बीच में ही कुछ कलाकारों की मौत हो जाती या किसी के पास डेस्ट की कमी होती तो इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। उदाहरण के लिए फिल्म 'फास्ट एंड फ्यूरियस' को देख सकते हैं उसमें लीड एक्टर पॉल वॉकर की जगह उनके भाई ने भूमिका निभाई थी, क्योंकि शूट के बीच में ही उनकी मौत हो गई थी। डीपफेक तकनीक के जरिए उनको हूबहू पॉल वॉकर बना दिया गया यहां तक कि उनकी आवाज भी पॉल जैसी हो गई शुरू में डीपफेक प्रॉस्टिट्यूट के बाद सड़के की एंटी तकनीक का इस्तेमाल नकारात्मक तरीके से नहीं होता था लेकिन जैसे-जैसे इस तकनीक ने तरक्की की, असली-नकली का फर्क करना भी मुश्किल होने लगा।
डीपफेक का शिकार हुए ये सेलेब्स :
साल 2014 में पहली बार इयन गुडफ्लो और उनकी टीम ने इस तकनीक को विकसित किया था, धीरे-धीरे इस तकनीक में नई-नई तब्दीलियां की जाती रहीं जिसके परिणाम स्वरुप अब धड्ड़ले से इसका गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। डीपफेक का शिकार सबसे पहले साउथ सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना हुई। बीते 5 नवंबर को रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो सामने आया जिसमें एक्ट्रेस कहीं से वर्क आउट कर के आ रही थी और वो वीडियो लिफ्ट की थी लेकिन यह लड़की रश्मिका मंदाना नहीं बल्कि कोई और थी जिसकी वीडियो पर एक्ट्रेस का चेहरा लगाया गया था। अगली शिकार बॉलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ हुईं बीते 7 नवंबर को फिल्म टाइगर 3 का एक सीन सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री कैटरीना कैफ बिकिनी पहने हुए एक महिला से लड़ती हुई दिखाई दे रही, हालांकि ये वीडियो भी AI तकनीक से जेनेरेट किया गया था।
इसके अलावा इसी तरह का एक वीडियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वायरल हो गया 8 नवंबर को सोशल मीडिया पर गरबे का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की तरह दिखने वाला एक शख्स कुछ महिलाओं के साथ डांडिया खेलता हुआ दिखाई देता है, हालांकि, ये डीपफेक नहीं असली वीडियो है, लेकिन उसमें पीएम मोदी नहीं हैं। इसके बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसका शिकार हुए, जिसमें बीते 7 अक्टूबर को कौन बनेगा करोड़पति के एक एपिसोड का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें अमिताभ बच्चन की आवाज़ में ओरिगिरल सवाल को बदलकर घोषणा मशीन से सम्बंधित सवाल पूछा।
डीपफेक के लिए सजा का प्रावधान :
आईटी एक्ट 2000 किसी भी इंसान को उसकी प्राइवेसी को लेकर सुरक्षा प्रदान करता है ऐसे में यदि कोई डीपफेक वीडियो या तस्वीर किसी की मर्जी के बगैर बना कर कोई कानून तोड़ता है, तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है। इस कानून की धारा 66 डी के तहत किसी को गुनहगार पाये जाने पर उसे 3 साल तक की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। आईटी एक्ट में ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की भी जिम्मेदारी तय की गई है, जिसमें किसी आदमी की प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करना जरूरी है ऐसे में अगर किसी प्लेटफॉर्म को ऐसे किसी डीपफेक मेटेरियल के बारे में जानकारी मिलती है, तो शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर उसे हटाना उस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जवाबदारी है। डीपफेक के जरिए किसी का अपमान करने पर उस पर आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का केस किया जा सकता है इसके साथ डेटा चोरी कर या हैकिंग कर अगर कोई डीप फेक तैयार किया जाता है, तो पीड़ित आईटी एक्ट के तहत शिकायत कर सकता है। इसी तरह किसी सामग्री की चोरी होने पर कॉपी राइट एक्ट 1957 के तहत गुनहगार के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भी पीड़ित इंसान अदालत में अपनी फरियाद लेकर जा सकता है।
डीपफेक मुद्दे पर केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, डीपफेक हम सभी के लिए एक बड़ा मुद्दा है। हमने हाल ही में सभी बड़े सोशल मीडिया फॉर्मों को नोटिस जारी किया है, और उनसे डीपफेक की पहचान करने के लिए कदम उठाने को कहा है।" उन सामग्री को हटाने के लिए। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों ने प्रतिक्रिया दी है। वे कार्रवाई कर रहे हैं, हमने उन्हें इस काम में और अधिक आक्रामक होने के लिए कहा है। इसके अलावा, हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि 'सेफ हार्बर' क्लॉज जो कि अधिकांश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रहे हैं यदि प्लेटफ़ॉर्म अपने प्लेटफ़ॉर्म से डीपफेक को हटाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाते हैं, तो आनंद लेना लागू नहीं होता है।
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