केंद्र ने राज्यों को दिया मसालों की गुणवत्ता चेक करने का आदेश Raj Express
दिल्ली

केंद्र ने राज्यों को दिया मसालों की गुणवत्ता चेक करने का आदेश, MDH और Everest पर उठे थे सवाल

Author : gurjeet kaur

हाइलाइट्स :

  • FSSAI ने लिए थे कई मसालों के सैंपल।

  • भारतीय मसाला उद्योग के लिए कठिन समय।

Center Orders Sates To Check Quality Of Spices : नई दिल्ली। हांगकांग, सिंगापुर, मालदीव में MDH & Everest मसालों पर बैन लगने के बाद अब भारत में भी मसलों की जांच की जा रही है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया है की सभी मसालों का गुणवत्ता की जांच की जाए। मसाला बोर्ड और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने रूटीन सैंपलिंग की जिसके बाद इनकी मसालों की कंपनी के ऊपर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे है। सरकारी निकाय द्वारा अब तक कोई साफ़ फैसला नहीं बताया है।

उत्तराखंड फ़ूड सेफ्टी निकाय के आयुक्त डॉ. आर राजेश कुमार ने सभी स्थानीय रूप से बनने वाले मसालों की टेस्टिंग अनिवार्य कर दी है। राज्य में 50 से अधिक स्थानों पर मसालों का उत्पादन होता है, यह निर्देश उच्च गुणवत्ता के लिए लिया गया है। कमिश्नर कुमार ने बताया कि 13 जिलों के फ़ूड सेफ्टी ऑफिसर्स को निर्देश दिए जा चुके है की उन्हें मसाले उत्पादन करने वाली फैक्ट्री में जाकर मसालों की गुणवत्ता की जांच करनी है।

हांगकांग के खाद्य और पर्यावरण स्वच्छता विभाग के खाद्य सुरक्षा केंद्र (CFS) की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि, "कई प्रकार के प्रीपैकेज्ड मसाला मिश्रण उत्पादों के नमूनों में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया। इन मसालों के उपयोग या बिक्री तुरंत बंद कर देनी चाहिए।"इन उत्पादों में MDH का मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर और करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर और Everest का फिश करी मसाला शामिल हैं।

सीएफएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि "खाद्य पदार्थों में कीटनाशक अवशेष नियमन (Pesticide Residues in Food Regulation) के अनुसार, मानव उपभोग के लिए कीटनाशक अवशेषों वाला भोजन केवल तभी बेचा जा सकता है, जब भोजन का सेवन खतरनाक या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हो।" सीएफएस ने विक्रेताओं को प्रभावित उत्पादों को स्टॉक्स से हटाने का आदेश दिया और एक जांच शुरू की। पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें।

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