हाइलाइट्स :
2000 लाख रूपए रोज का धंधा ठप्प
5 करोड़ सेक्स वर्कर के लिए आफत बन गई सोशल डिस्टेंसिंग
कोरोना ने पांच करोड़ सेक्स वर्कर को भूखा मरने की तरफ धकेला
राज एक्सप्रेस। देश में हर रोज दो हजार लाख रूपए का कारोबार करने वाले पांच करोड कारोबारियों के लिए कोरोना काल में जीवन बचाने वाली सोशल डिस्टेंसिंग आफत बन गई है। सरकार ने लगभग सब कुछ अनलॉक किया लेकिन दुनियां का सबसे पुराना धंधा वेश्यावृत्ती अनलॉक नहीं हुआ और कब होगा किसी को नहीं पता। कोरोना काल में इनका धंधा पूरी तरह बंद हो गया और अब 6 माह से धंधा बंद होने से भूखा मरने की नौबत आ गई। मध्यप्रदेश सहित देश के हर राज्य में मौजूद रेड लाइट इलाकों में पैसा की तंगी ने सेक्स वर्कर गंभीर बिमारी का इलाज और राशन के लिए तरस रहे है। यही हाल रहा तो सेक्स वर्कर कोरोना संक्रमण से मरे न मरे लेकिन अर्थिक तंगहाली से जरूर मर जाएंगे। इनके लिए सरकार और समाज ने अब तक कुछ नहीं सोचा है।
देश के अलग अलग राज्यों में बसे कुल पांच करोड़ सेक्स वर्कर के संगठन ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है। जिसमें संगठन ने कोरोना काल में सेक्स वर्कर का धंधा बंद होने पर उनकी तंगहाली से होने वाली भुखभरी का जिक्र किया है। यही नहीं अंग्रेजी भाषा में लिखे गए इस पत्र में संगठन ने सभी राज्यों के सेक्स वर्कर के खाराब हाल भी बताए हैं। संगठन ने सरकार से सेक्स वर्कर का काम लंबे समय तक बंद रहने की वजह पैदा हुई अर्थिक तंगी में उचित अर्थिक सहायता देने की मांगी की है, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया। सरकार द्वारा लॉकडाउन के अनलॉक करने के बाद लगभग सभी कारोबार शुरू हो गए है लेकिन सेक्स वर्कर का काम सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से बंद है। भय के महौल में इनका धंधा साल या दो साल तक अनलॉक होता दिखाई नहीं देता है। तब तक सहायता नहीं मिलने पर इनका भूखा मरना तय है।
मप्र में तीन लाख से अधिक सेक्स वर्कर :
मध्यप्रदेश में तीन लाख से अधिक सेक्स वर्कर सक्रिय हैं जिसमें से लगभग एक लाख स्ट्रीट और डेढ लाख होम बेस्ड हैं। राजधानी भोपाल में 20 से 25 हजार सेक्स वर्कर काम करती हैं, इनमें कुछ पड़ोसी जिलो से हर रोज आती हैं। ग्वालियर जिला के रेशमपुरा प्रदेश का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है जहां देश के कई इलाकों से ग्राहक पहुंचते हैं। रेशमपुरा की सेक्स वर्कर के दम पर आसपास के इलाकों की दुकानों पर ग्राहकी होती है। इसके अलावा प्रदेश में मंदसौर, रतलाम, नीमच, गुना, दमोह, सागर, विदिशा, अशोकनगर, शिवपुरी, भिंड, मुरैना, टीकमगढ, छतरपुर, पन्ना में भी सेक्स वर्कर सक्रिय हैं।
देश के सबसे बड़े रेड लाइट इलाके :
स्थान - सेक्स वर्कर संख्या
कोलकता सोनागाछी - चार लाख
मुबंई कमाठीपुरा - तीन लाख
दिल्ली जीबी रोड - दो लाख
पुणे बुधश्वर पेठ - 50 हजार
नागपुर गंगा जुमना इलाका - 35 हजार
आगरा कश्मीरी मार्केट - 30 हजार
मेरठ कबाड़ी बाजार - 26 हजार
इलाहाबाद मीरगंज - 32 हजार
आंध्रप्रदेश पेड्डापुरम गुडिवडा - 15 हजार
सरहानपुर कानक्काफसा बाजार - 20 हजार
मुजफ्फरपुर चतुर्भुज - 25 हाजार
वाराणसी शिवदासपुर,दालमंडी - 20 हाजार
कर्नाटक कोलार - 5 हजार
नोट : कोलकता का सोनागाछी एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया है।
सेक्स वर्कर संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुसुम से सवाल :
वेश्यावृत्ति भारत में गैरकानूनी है फिर सरकार क्यों सहायता करें?
जेल में सजायाफता बंदी रहते उनके भी मौलिक अधिकार हैं, सरकार उनकी भी सहायता कर रही है तो सेक्स वर्कर अपना और परिवार का पेट पालने के लिए यह धंधा कर रही हैं। कोरोना महामारी में उनका काम लंबे समय के लिए बंद हो गया है। सेक्स वर्कर में भारत की नागरिक है उनको भी जीने का अधिकार है।
ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर संगठन ने वैश्यावृत्ती का कानूनन वैध करने की क्यों कर रहा मांग?
यह समझ लिजिए कि 16वीं सदी से 18 वीं सदी तक भारत में वेश्यावृत्ती वैध हुआ करती थी। अलग-अलग कालखंड में अलग नाम से पहचान थी। अंग्रेजों ने 18वीं सदी के मध्य में इसको गैरकाननूी बना दिया और फिर काननू में कई संशोधन इस काम को गंभीर अपराध की श्रेणी में किया गया। लेकिन इस सख्त कानून के बाद सेक्स वर्कर का जीना मुश्किल हुआ और माफिया का काम अधिक चमका है। अगर सच देखा जाए तो यह धंधा समाज की जरूरत है, कोई महिला अपनी मर्जी से इस काम को करना चाहती है तो क्या परेशानी है। किसी को जोर जबरदस्ती इस काम में लगाया जा रहा तो वो अपराध है। इसलिए हमारे संगठन ने सरकार से पहले सेक्स वर्कर को श्रमिक का दर्जा और फिर इस काम को कानूनन वैध करने की मांग की है। हम इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं।
कोराना संक्रमण के चलते सेक्स वर्कर के क्या हालात हैं?
सरकार ने अनलॉक कर दिया लेकिन सेक्स वर्कर का काम बंद है। कोरोना संक्रमण काल में सोशल डिस्टेंसिंग रखने से जीवन बच सकता है, ऐसे में सेक्स वर्कर और ग्राहक अपना जीवन बचा रहे है। इसलिए यह धंधा लंबे समय तक बंद रहेगा। यही वजह से सेक्स वर्कर की आर्थिक स्थति बहुत खराब हो गई है। कई सेक्स वर्कर गंभीर बिमारी से जुझ रहे है उनके पास इलाज के पैसा नहीं है, खाना नहीं मिल रहा है। हमारे संगठन ने पत्र लिखकर सहायता की मांग की है लेकिन अब तक कुछ नहीं किया है कुछ जगहो पर स्थानिय स्वंयसेवी संस्थाओं ने थोड़ा बहुत राशन दिया लेकिन वो नाकाफी है।
डिस्क्लेमर : इस स्टोरी का उद्देश्य वेश्यावृत्ती को बढ़ावा देना नहीं है, महामारी के इस काल में सभी वर्ग अपने जीवन को बचाने में लगे हुए हैं। ऐसे में समाज से अलग-थलग सेक्स वर्कर भी इंसान हैं और उनकी पीड़ा को समझना भी मानवता है। इस स्टोरी में व्यक्त विचार लेखक की व्यक्तिगत विचारधारा है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया हैं। अतः इस आर्टिकल अथवा समाचार में प्रकाशित हुए तथ्यों और विचारों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।