हाइलाइट्स
पंडो जनजाति के लोगों के पास आज भी नहीं है जमीन हक़।
जाती प्रमाण पत्र बनवाने के लिए भटकना पड़ रहा।
बड़ी संख्या में पहुंचे संयुक्त कार्यालय।
कार्यालय पहुंचकर अपनी मांगों का सौंपा ज्ञापन।
1952 में राष्ट्रपति पंडो लोगों को गोद लेकर बसाया था पंडोनगर।
सूरजपुर, छत्तीसगढ़। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति के लोग आज भी जमीन से वंचित हैं। इसके अलावा उन्हें जाति प्रमाण पत्र के लिए भी सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते है। ऐसे में परेशान पंडो जनजाति के लोगों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर संयुक्त कार्यालय पहुंचकर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा है।
पंडो नगर के साथ सूरजपुर जिले के कई जगह पंडो जाति के लोग रहते हैं, उनको जमीन का पट्टा नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही जाति प्रमाण पत्र भी नहीं बनने के कारण युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जनजाति के युवाओं को नौकरी की प्रकिया भी सूरजपुर जिले में रुकी हुई है। 1952 में देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जिले के पंडोनगर आये थे, जहां उन्होंने पहाड़ो पर अलग-अलग रह रहे पंडो लोगों को गोद लेकर बसाया था। जिसकी वजह से यहां का नाम पंडोनगर पड़ा था।
जमीन का नहीं मिला मालिकाना हक
यहां रहने वाले पंडो परिवारों का आरोप है कि, कई दशक बीत जाने के बाद भी आज तक उनको उस जमीन का मालिकाना हक नही मिल सका है। यहां तक ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह काम नहीं हो रहा है।
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