Pandit Pradeep Mishra In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के भिलाई में पंडित प्रदीप मिश्रा (Pandit Pradeep Mishra) की शिवमहापुराण की कथा (Shiv Maha Puran Katha) का आयोजन किया गया हैं जिसमे कथा सुनने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही हैं। लगभग एक लाख वर्गफीट में लगे टेंट में भी कथा का रसपान करने आये श्रद्धालुओं की समाई नहीं हो पा रही हैं ऐसे में कई श्रद्धालु तेज धूप में छतरी लगाकर कथा सुन रहे हैं।
कथा को सुनने वालों की भीड़ दोगुनी:
जयंती स्टेडियम भिलाई (Jayanti Stadium Bhilai) में जीवन आनंद फाउंडेशन एवं श्रीराम जन्मोत्सव समिति द्वारा आयोजित श्रीशिव महापुराण कथा को सुनने वालों की भीड़ दोगुनी हो गई। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भिलाई में एकांतेश्वर महादेव की कथा (Ekanteshwar Mahadev Katha) सुना रहे हैं। भोलेनाथ की भक्ति में लीन श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता जा रहा है। भीषण गर्मी में भी उनका उत्साह कम नहीं हो रहा। सिविक सेंटर (Civic Center) कथास्थल में कथा का रसपान करने आए श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। पंडाल के अंदर जगह भर जाने के बाद बाहर भी श्रद्धालु बैठकर कथा सुनने लगे।
छतरी की छांव में ले रहे कथा का आनंद :
जयंती मैदान में भव्य तीन डोम बनाए गए हैं, लेकिन भक्तों की संख्या पहले दिन से ही दोगुनी हो गई। इस वजह से सामने और साइड में टेंट से पंडाल बनाया गया था वह पंडाल भी छोटा पड़ गया। लोग छतरी की छांव में बच्चों को लेकर कथावाचक महराज को एलईडी (LED) में देखकर कथा का आनंद ले रहे थे।
प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा :
पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रवचन में बताया कि माता- पिता और गुरु ही जीवन की असली पूंजी हैं। चाहे कैसी भी विषम परिस्थिति हो माता-पिता और गुरु का चरण कभी नही छोडऩा चाहिए। माता-पिता और गुरु जीवन संवार देते हैं। कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि पुराणों के अनुसार 5 महापाप हैं जिसमें बाल हत्या पर स्त्री का संग स्वर्ण की चोरी घर में आग लगाना और किसी से विश्वासघात करना। निर्मल हृदय एवं श्रद्धा भाव से शिवलिंग के दर्शन से महापाप से मुक्ति मिलती हैं।
छत्तीसगढ़ के लोग छलप्रपंच से दूर:
कथा वाचक पंडित मिश्रा ने शिव महापुराण कथा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) भगवान श्रीराम का ननिहाल है और भगवान राम का छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक आना रहा है। उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ के लोग छलप्रपंच से दूर रहते हैं। सादा भोजन खाकर गुजारा कर लेते हैं पर किसी से छलकपट नहीं करते। भगवान को ऐसे लोग ही प्रिय हैं। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। कथावाचक पंडित मिश्रा ने भक्तों द्वारा भेजे गए पत्रों की जानकारी श्रद्धालुओं को दी। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा में अपना जीवन सनातन संस्कृति के प्रसार में लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि पहले कई मंदिर खाली पड़े रहते थे वहां कोई नहीं जाता था। कोई पूजा नहीं करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब भक्तगण नियमित रूप से मंदिर जाते हैं और भगवान शिव को जल एवं बेल पत्र अर्पित करते हैं।
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