50 crore Unipol Scam पर बोले मेयर Raj Express
छत्तीसगढ़

यूनिपोल घोटाले पर बोले मेयर, कहा- साइज बढ़ाने वाली एजेंसियों पर MIC कसेगी शिंकजा

50 Crore Unipol Scam: यूनिपोल को लेकर निगम प्रशासन को सर्तक किया था लेकिन अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया। उनकी अनदेखी से एड एजेंसियों की मनमानी जारी रही।

Deeksha Nandini

50 crore Unipol Scam: छत्तीसगढ़ में नियमों के विपरीत सड़कों पर मनमाने तरीके से लगाए गए यूनिपोल को लेकर निगम प्रशासन को सर्तक किया था लेकिन अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया। उनकी अनदेखी से एड एजेंसियों की मनमानी जारी रही। इससे निगम को करोड़ों का राजस्व नुकसान हुआ है। रायपुर नगर निगम में हुए 50 करोड़ के यूनिपोल घोटाला उजागर करने वाले महापौर एजाज ढेबर ने कहा है कि एमआइसी ने विज्ञापन की नई पॉलिसी बनाने का फैसला लिया है।

15 बाई 9 की अनुमति निगम से ली, ऐड एजेंसियों ने साइज को 15 बाई 18 कर लिया:

दरअसल, महापौर एजाज ढेबर पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि एमआइसी की बैठक में एक घंटे तक विज्ञापन की नई पालिसी पर सदस्यों के साथ चर्चा की गई है। देखने में आया है कि मुख्य बाजार, सड़क की दुकानों पर विभिन्न कंपनियों के होर्डिंग, ग्लो साइन बोर्ड लगे हुए है। ऐसे बोर्ड को नई विज्ञापन पालिसी के दायरे में लिया जाएगा। शहर में लगे कई यूनिपोल की निर्धारित साइज 15 बाई 9 की अनुमति निगम से ली गई लेकिन ऐड एजेंसियों ने मनमाने तरीके से साइज को 15 बाई 18 कर लिया। बढ़ाए गए साइज को हमने यथावत करने के निर्देश अधिकारियों को दिए है। एमआइसी सदस्य श्रीकुमार मेनन और सहायक अभियंता निशिकांत वर्मा इसकी मानिटरिंग करेंगे।

चिट्ठी से खुली यूनिपोल घोटाले की पोल :

महापौर एजाज ढेबर ने बताया कि एक चिट्ठी से यूनिपोल घोटाला उजागर हुआ।यह चिट्ठी लाभचंद जैन ने 23 जनवरी 2023 को मुझे लिखी थी। इस चिट्ठी को महापौर ने मीडिया के सामने सार्वजिनक किया। चिट्ठी में लिखा कि मैं आपका ध्यान निगम के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे बहुत बड़े होर्डिंग विज्ञापन घपले पर दिलाना चाहता हूं। मैं पिछले 15 वर्षों से नगर निगम में विज्ञापन के कार्य से जुड़ा हूं। हम लोगों को हमेशा कार्य मिलता रहता था लेकिन पिछले चार-पांच साल से केवल पांच से सात ऐड एजेंसियों के दवाब में नगर निगम कार्य दे रहा है।

यहां के कुछ अधिकारी इन बड़ी एजेंसियों की मदद करते हैं। आज केवल एएसएस, राघव, व्यापक, ग्रेसफुल, देशकर इन्‍हीं एजेंसियों को अधिकारी मिलीभगत कर टेंडर दे रहे हैं और हमसे राय भी नहीं ली जाती। पत्र में आगे बताया गया कि वर्ष 2017 से 2018 के बीच जब प्रमोद दुबे महापौर थे,तब से यह खेल शुरू हुआ है।

बड़ी ऐड एजेंसियों को दिलाया काम :

पत्र में लाभचंद जैन ने आगे लिखा है कि, निगम के अधिकारी टेंडर का रेट बढ़ाकर छोटे ऐड एजेंसियों को बाहर कर देते थे। बस स्टाप वाले टेंडर में एएसए को मनमुताबिक रेट और कम पैसे में करोड़ों का काम दे दिया गया जबकि कई एजेंसियां वही काम कर सकते थे। मेंट्री पोल में कोर्ट से स्टे लेकर भी एएसए को भाजपा नेता विनोद अग्रवाल अभी तक टेंडर लेते आ रहे है। यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। कोई कोर्ट से स्टे लेकर कैसे करोड़ों का काम ले सकता है? यहीं नही विनोद अग्रवाल के कई टेंडर फर्जी कंपनियों के नाम से मिले है। इसकी जांच कराकर टेंडर रद करें ताकि नए टेंडर में सभी को काम करने का मौका मिल सके।

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