Same Sex Marriage: देशभर में इन दिनों समलैंगिक विवाह को लेकर हर क्षेत्र में बहस छिड़ी हुई है। राजनीति (Politics) के नेताओं के अलावा अब इस विषय पर धार्मिक गुरु और संतों के बयान आने भी शुरू हो गए हैं। आज प्रसिध्य कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) (Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale) ने बड़ा बयान दिया हैं। जिसमे उन्होंने कहा है कि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) से धर्म और संस्कृति का नाश होता है। उन्होंने इस मुद्दे पर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती (Shankaracharya Sadanand Saraswati) के बयान का समर्थन किया है।
समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर पंडित प्रदीप मिश्रा :
Same Sex Marriage मामले पर पंडित मिश्रा ने चर्चा की और शंकराचार्य सदानंद सरस्वती के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि, समलैंगिक विवाह का प्रस्ताव जो रखा गया है वो श्रेष्ठ नहीं है। यह हमारे आने वाले सनातन धर्म को चोट पहुंचाने वाला है। ऐसी मान्यता से धर्म और संस्कृति का नाश होता हैं। इसके अलावा पंडित प्रदीप मिश्रा मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, अपने धर्म का प्रचार करना कहीं से गलत नहीं है। लेकिन दूसरे के धर्म और उनके देवता पर टिप्पणी करना गलत है। हमारे यहां अलग-अलग धर्म के देवता हैं। अगर उन्हें भगवान के रूप में पूज रहे हैं तो कुछ तो उनमें ऐसी अच्छाई होगी। जिससे वो पूजे जाते हैं।
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती समलैंगिक विवाह पर बयान:
बता दें कि हाल ही में शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने भी समलैंगिकता का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि इसे न्यायालय से मान्यता नहीं मिलनी चाहिए। धर्म ऐसी परंपरा को मान्यता नहीं देता है। इससे देश में कई तरह की बीमारियां फैलने लगेगी। शंकराचार्य सदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि हमारे यहां आठ प्रकार की विवाह पद्धति है, जिसमें स्त्री पत्नी होती है और पुरुष पति होता है, लेकिन समलैंगिकता में कौन पति होगा.. कौन पत्नी होगा.. यह कैसे तय होगा.. सनातन हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता को पाप की श्रेणी में रखा गया है। हमारी संस्कृति में यह दोष पूर्ण माना गया है। ऐसी परंपरा से धर्म और संस्कृति का नाश होगा।
बता दें कि, पंडित प्रदीप मिश्रा इस समय भिलाई में 25 अप्रैल से 1 मई तक शिव महापुराण की कथा सुनाने के लिए पहुंचे हैं। शिव महापुराण कथा सुनने के लिए लाखों लोगों की भीड़ आती है। हर कोई उनसे कथा सुनना चाहता है। बीते दिन तेज धूप मे लोग छतरी लगाकर एकांतेश्वर महादेव की कथा (Ekanteshwar Mahadev Katha) में लीन थे।
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