झीरम घाटी हत्याकांड के 10 साल पूरे Sudha Choubey - RE
छत्तीसगढ़

झीरम घाटी हत्याकांड के 10 साल पूरे, जानिए नक्सलियों ने कैसे दिया हमले को अंजाम

Jhiram Ghati Naxal Attack: आज 25 मई 2023 को झीरम घाटी कांड के पूरे 10 साल पूरे हो गए हैं। समय बीत गया, लेकिन झीरम के जख्म आज भी ताजा हैं।

Sudha Choubey

Jhiram Ghati Naxal Attack: आज 25 मई 2023 को झीरम घाटी कांड के पूरे 10 साल पूरे हो गए हैं। समय बीत गया, लेकिन झीरम के जख्म आज भी ताजा हैं। 25 मई 2013 को नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। इसमें कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा, विद्याचरण शुक्ल समेत कई दिग्गज नेताओं की जान गई थी। हमले में कई जवानों ने भी अपनी शहादत दी, तो कई घायल भी हुए थे। छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में सात साल पहले हुई इस नक्सल घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया था। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा माओवादी हमला था।

कांग्रेस ने की झीरम घाटी शहादत दिवस मनाने की शुरुआत:

वहीं, कांग्रेस ने पिछले साल से ही इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की है। बहरहाल इस हत्याकांड के कई रहस्य अब तक अनसुलझे हैं और पता नहीं कब तक झीरम घाटी के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा।

परिवर्तन यात्रा का हुआ आयोजन:

बता दें कि, छत्तीसगढ़ में साल 2013 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। यहां पिछले 2 बार से भाजपा की सरकार थी, 10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस इसके लिए तैयारियों में जुटी हुई थी। कांग्रेस ने पूरे राज्य में परिवर्तन यात्रा निकालने की घोषणा की। 25 मई 2013 को सुकमा जिले में परिवर्तन यात्रा का आयोजन हुआ, कार्यक्रम के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। 25 गाड़ियों में करीब 200 लोग थे, कांग्रेस नेता कवासी लखमा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल, महेन्द्र कर्मा, मलकीत सिंह गैदू और उदय मुदलियार समेत छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लगभग सभी शीर्ष नेता काफिले में शामिल थे।

नक्सलियों ने ऐसे दिया घटना अंजाम:

आपको बता दें कि, 25 मई 2013 को शाम को 4 बजे काफिला जैसे ही झीरम घाटी की तरफ पंहुचा, तभी नक्सलियों ने पेड़ गिराकर रास्ता जाम कर दिया। कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। करीब डेढ़ घंटे तक गोलियां चलती रहीं, इसके बाद नक्सलियों ने एक-एक गाड़ी को चेक किया। वहीं, जिंदा लोगों को बंधक बनाया, हमले में 32 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई।

जवान सफीक खान के पेट में फंसी गोली:

इस घटन में घायल होने वालों में से एक जवान सफीक खान हैं। जिन्हें नक्सलियों की गोली लगी थी। हालांकि, भाग्य ने साथ दिया और उनकी जान बच गई। लेकिन, नक्सलियों की चलाई गोली आज भी उनके पेट में फंसी हुई है। जो हर दिन उस नरसंहार को याद दिलाती है।

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