हाइलाइट्स
69 साल की उम्र में दीपक चंद्राकर का निधन।
दीपक चंद्राकर ने 1993 में की लोककला ग्राम की स्थापना।
यहाँ लोककला की सभी विधाओं की बारीकियां फ्री में सिखाई जाती है।
Chhattisgarhi Artist Deepak Chandrakar Passes Away : रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कलाकार और थियेटर आर्टिस्ट दीपक चंद्राकार का गुरुवार की देर रात निधन हो गया। 69 साल के आर्टिस्ट दीपक चंद्राकार ने राजधानी रायपुर के निजी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। बालोद जिले के गांव अर्जुंदा निवासी लोकरंग अर्जुंदा के संस्थापक व संचालक दीपक चंद्राकर का अंतिम संस्कार 20 अक्टूबर की दोपहर 12 बजे उनके गृह ग्राम अर्जुंदा में किया जाएगा। उनके निधन से समूचे कला क्षेत्र में शोक व्याप्त है।
दीपक चंद्राकर ने ग्रामीण प्रतिभाओं की कला को निखारने के लिए 2 अक्टूबर 1993 को अपने ग्राम अर्जुंदा में करीब पौने दो एकड़ में लोककला ग्राम की स्थापना की और तब से यहां साल में दो-तीन बार पखवाड़े भर की कार्यशालाएं होती आ रही हैं। यहां नए कलाकारों को लोककला की सभी विधाओं की बारीकियां फ्री में सिखाई जाती हैं। दीपक का मानना था कि रीति-रिवाज, संस्कार, पर्व, परंपराएं, उत्सव आदि हमारी संस्कृति के अंग हैं। दीपक चंद्राकर ने 700 से ज्यादा कलाकारों को विभिन्न कलाएं जैसे- नृत्य, प्रहसन, गायन, वादन सीखाईं, जो आज अलग-अलग जगह प्रस्तुति दे रहे हैं।
दीपक चंद्राकर लोकरंग अर्जुंदा के संस्थापक थे, उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोक कला, लोक पर्व और लोक संस्कृति को दीगर राज्यों के अलावा पूरे देश में सम्मान दिलाया। उन्होंने विभिन्न रंग मंचों में इसकी प्रस्तुति दी, देशभर में नाचा विधा को बढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। छत्तीसगढ़ में राम हृदय तिवारी के साथ रंग मंच किया। वे खुमान लाल साव के साथ द्वायम दर्ज के रंग मंच करने वाले कलाकार थे। दीपक चंद्राकर ने दाऊ रामचंद्र देशमुख के चंदेनी गोंदा की समृद्ध कला लोक पर्व और लोक संस्कृति को कला के माध्यम से फैलाया है। छत्तीसगढ़ में लोक रंग अर्जुंदा एक प्रमुख ऐसी रंगमंच कराने वाली टीम है, जो पूरे भारत का भ्रमण कर चुकी।
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