CM Bhupesh Baghel said on Women's Reservation Bill RE
छत्तीसगढ़

महिला आरक्षण बिल पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा, इसे 2024 के चुनाव में लागू किया जाना चाहिए...

CM Bhupesh Baghel said on Women's Reservation Bill: यह बात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के विमानतल स्वामी विवेकानन्द पर मीडिया से चर्चा के दौरान कही है।

Deeksha Nandini

हाइलाइट्स

  • महिला रिजर्वेशन बिल को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने बयान दिया है।

  • डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने इसे भाजपा का चुनावी मुद्दा बताया है।

  • कांग्रेस के लिए आरक्षण द्वारा महिलाओं का सशक्तिकरण उनके लिए एक भावनात्मक मुद्दा।

CM Bhupesh Baghel said on Women's Reservation Bill: रायपुर, छत्तीसगढ़।वे धोखेबाज हैंजो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, उसका कांग्रेस ने समर्थन किया है लेकिन इसे जनगणना और परिसीमन होने के बाद लागू किया जाएगा। इसमें कई साल लगेंगे। सोनिया गांधी ने साफ कहा कि, ऐसा होना चाहिए'' इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए। लेकिन हमें ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसे 2024 के चुनाव में लागू किया जाना चाहिए। यह बात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के विमानतल स्वामी विवेकानन्द पर मीडिया से चर्चा के दौरान कही है।

इस छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी जी ने संसद को संबोधित कर महिला आरक्षण पर अपनी भावनाएं व्यक्त की - ये कानून काफी समय से उनका स्वप्न रहा, और इसे पारित करवाने के लिए पूर्व के किए उनके प्रयास सम्माननीय हैं।

आगे उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, आरक्षण द्वारा महिलाओं का सशक्तिकरण उनके लिए एक भावनात्मक मुद्दा है, राजीव जी का सपना पूरा करने के बारे में हैं, जो उनके अभिभाषण में साफ दिख रहा है, मगर दुख की बात है की प्रधानमंत्री जी और भाजपा सरकार के लिए यह गंभीरता का विषय नहीं है, मात्र एक चुनावी मुद्दा है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, असल में इस हड़बड़ाहट में प्रधानमंत्री जी की घबराहट दिख रही है। जहां अभी भी सोनिया जी ने विनम्रतापूर्वक इस कानून के रास्ते से सभी बाधाएं हटा कर इसे अम्ल में लाने की मांग की, वहीं भाजपा के सांसद इसे 'नारी शक्ति वंदन' की जगह 'मोदी वंदन' का अवसर बनाते रहे - वो और बात है की इस कानून के सक्रिय होने में वो अभी भी एक दशक का विलंब बता रहे हैं। तो मुद्दा ये उठता है कि, फिर क्या ज़रूरत थी इस विशेष सत्र की, अनायास ही अधिनियम प्रस्तुत करने की? अगर रहने देते तो आगामी INDIA सरकार तो इसे निश्चित ही पारित करती, और बेहतर रूप से करती।

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