छत्तीसगढ़। कई राज्यों में ‘कोयले के कम भंडार’ की स्थिति की वजह से बिजली संकट पैदा हो सकता है। ऐसे में आज बुधवार को फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान सामने आया है।
राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और बिजली महंगी हो जाएगी :
इस दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बयान में कहा- देश के कोयले की कीमत 3,000-4,000 रुपए प्रति टन है, जबकि विदेशों में 15,000-20,000 रुपए प्रति टन है। इससे राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और बिजली महंगी हो जाएगी। पिछला समय तो संभल गया था, लेकिन अब जो स्थिति है वो बहुत भयावह होने वाली है।
कई राज्यों में चंद दिनों का कोयला ही बचा हुआ है। देश में जो पावर प्लांट हैं उसके अलावा दूसरे जो प्लांट हैं उसमें कोयले की कटौती की गई है या फिर बंद कर दी गई है, जिसका ओद्योगिक गतिविधियों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
केंद्र सरकार को लिखा पत्र :
इससे पहले मंगलवार को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार को पत्र लिखकर रायगढ़ जिले में महाराष्ट्र स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को आवंटित कोयला खदान को वन मंजूरी देने की सिफारिश की गई थी। इस बारे में एक अधिकारी ने यह जानकारी दी थी।
इस दौरान राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बीते दिन यह बताया था कि, ''राज्य सरकार ने रायगढ़ वन मंडल के गारे पेलमा सेक्टर-2 कोयला खदान उत्खनन परियोजना के लिए आवश्यक वन मंजूरी को लेकर केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अनुशंसा पत्र भेजा है और गारे पेल्मा सेक्टर-2 ओपनकास्ट कोयला खदान के लिए 214.869 हेक्टेयर वन भूमि को महाजेनको के पक्ष में देने की स्वीकृति का अनुरोध किया है। यह पत्र छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मेसर्स महाराष्ट्र स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड से प्राप्त आवेदन पर सभी औपचारिकताएं तथा निर्धारित 44 बिन्दुओं की शर्तों और विवरणों को पूरा कर भेजा है।''
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