हाइलाइट्स-
छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि आज।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि पर नमन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा- मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
मिनीमाता का जन्म 1913 में असम के नगांव जिले में हुआ था।
रायपुर, छत्तीसगढ़। आज छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि है। इस मौके छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें याद करते हुए नमन किया है। उन्होंने कहा कि, उन्होंने कहा कि सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
भूपेश बघेल ने कही यह बात:
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया है। उन्होंने कहा कि, सरल और सहज व्यक्तित्व की धनी मिनीमाता ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने दलितों के नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को संसद में पारित कराने में महती भूमिका निभाई। भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थानीय निवासियों को रोजगार और औद्योगिक प्रशिक्षण के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, मजदूर हितों और नारी शिक्षा के प्रति जागरुक और सहयोगी रहीं मिनीमाता का सेवाभावी और प्रेरणादायी व्यक्तित्व सदैव याद किया जाएगा।
मोहन मरकाम ने कही यह बात:
वहीं, मंत्री मोहन मरकाम ने ट्वीट करते हुए कहा कि, "मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, मजदूर हितों और नारी शिक्षा के प्रति जागरुक और सहयोगी रहीं मिनीमाता का सेवाभावी और प्रेरणादायी व्यक्तित्व सदैव याद किया जाएगा। अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक उत्थान हेतु समर्पित करने वाली, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनिमाता जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन। नारी शक्ति की जीवंत प्रमाण मिनीमाता जी ने समाज में व्याप्त छुआछूत, अशिक्षा तथा पिछड़ापन दूर करने हेतु अभूतपूर्व योगदान दिया है।"
असम के नगांव हुआ था जन्म:
मिनीमाता का जन्म 1913 में असम के नगांव जिले में हुआ था। बचपन में उनके परिजन उन्हें मिनाक्षी नाम से पुकारते थे। मिनीमाता को छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद थीं। वे वर्ष 1952, 1957, 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं।मिनीमाता बतौर सांसद जब वे दिल्ली में रहती थीं, तो उनका वास स्थान एक धर्मशाला जैसा था। उन्हें छत्तीसगढ़ी के साथ हिंदी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान था। समाज में पिछड़ापन और छुआछूत जैसी तमाम कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मिनीमाता ने संसद में अस्पृश्यता बिल को पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मिनीमाता लगातार बाल विवाह, दहेज प्रथा, गरीबी और अशिक्षा दूर करने के लिए भी आवाज उठाती रहीं।
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