Lok Sabha Elections 2024 Third Phase Voting : रायपुर। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के तीसरे चरण में छत्तीसगढ़ में विजय बघेल, सरोज पांडेय और ब्रजमोहन अग्रवाल की सीट पर कड़ा मुकाबला है। तीसरे चरण में छत्तीसगढ़ की शेष सात सीट रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर चांपा, कोरबा, सरगुजा और रायगढ़ पर सात मई को मतदान किया जाएगा। यहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। दोनों प्रमुख पार्टियों ने सातों सीट पर अपने बड़े- बड़े नेताओं को मैदान में उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में इन सात सीट में से छह सीट बीजेपी के खाते में गई थीं, वहीं एक सीट कोरबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी ज्योतिनंद दुबे के सामने चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को मैदान में उतारा था। छ्त्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की सात सीटों पर रोचक मुकाबला होने वाला है। आइये जानते है इस बार सात लोकसभा सीट पर कौन है आमने-सामने...।
रायपुर लोकसभा सीट (Raipur Lok Sabha Seat) : छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कट मानी जा रही है। 2019 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के सुनील कुमार सोनी ने जीत दर्ज की थी। साल 1952 से 1971 तक यह सीट कांग्रेस के कब्जे में थी, लेकिन 1989 के बाद से अब तक ये सीट बीजेपी के कब्जे में रही है। साल 1991में ये सीट कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल (Vidyacharan Shukla) ने जीती थी, जिसके बाद से बीजेपी ने इस सीट से कभी हार का सामना नहीं किया। इस बार यहां से बीजेपी ने अपने सबसे वरिष्ठ नेता ब्रजमोहन अग्रवाल (Brajmohan Agarwal) को तो वहीं कांग्रेस ने अपने युवा नेता विकास उपाध्याय (Vikas Upadhyay) को चुनावी मैदान में उतारा है।
रायपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार : बृजमोहन अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी का दिग्गज चेहरा माने जाते है। पिछले 35 सालों से लागातार विधायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए थे। हांलाकि 2023 के विधानसभा चुनाव में विकास को इस सीट पर हार झेलनी पड़ी।
दुर्ग लोकसभा सीट (Durg Lok Sabha Seat) : दुर्ग लोकसभा छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में यहां से बीजेपी से विजय बघेल और कांग्रेस से राजेन्द्र साहू सामने-सामने है। दुर्ग लोकसभा सीट पर 1952 से 1971 तक कांग्रेस ने कब्ज़ा जमाया था लेकिन 1977 में जनता पार्टी के मोहन जैन ने जीत हासिल की। इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने वापसी की थी। साल 1989 जनता दल के प्रत्याशी को और इसके बाद 1991 इस सीट पर कांग्रेस ने फिर अपना कब्ज़ा जमाया। इसके बाद 1996 से साल 2004 तक इस सीट पर बीजेपी ने लगातार जीत हासिल की। इसके बाद 2014 में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू तो 2019 में बीजेपी के विजय बघेल ने इस सात पर जीत दर्ज की। पिछले चुनाव में इस सीट के एक विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर शेष सभी पर कांग्रेस जीती थी, लेकिन फिर भी कांग्रेस लोकसभा चुनाव नहीं जीत सकी थी। दुर्ग लोकसभा सीट के अंतर्गत 9 विधानसभा क्षेत्र है।
दुर्ग लोकसभा सीट से उम्मीदवार : विजय बघेल 2019 में इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनें, अब ये दोबारा मैदान में है। वहीं कांग्रेस के राजेंद्र साहू की साहू समाज पर अच्छी पकड़ है साथ ही ये कांग्रेस के प्रमुख नेता माने जाते है। इन्होंने 2019 में भूपेश बघेल के चुनाव संचालक बनकर चुनावी अभियान में उनके साथ रहे। इसके बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद राजेंद्र साहू को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग का अध्यक्ष बनाया गया।
बिलासपुर लोकसभा सीट (Bilaspur Lok Sabha Seat) : बिलासपुर लोकसभा सीट से इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने नया प्रत्याशी उतारा है। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में इस सीट से बीजेपी ने लोरमी के पूर्व विधायक तोखन साहू तो वहीं कांग्रेस के भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव मैदान में है। छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट बिलासपुर में पिछले कई सालों से बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी ने 2019 में सांसद लखन साहू का टिकट काटकर अरुण साव को प्रत्याशी बनाया था। अरुण साव ने 1 लाख 41 हजार 763 वोट से कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को हराया था।
बिलासपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार : देवेंद्र यादव ने 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। उन्हें 25 साल की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब मिला। देवेंद्र यादव दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में शिकस्त दे चुके है। वहीं तोखन साहू बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष है, 2013 में पहली बार लोरमी से विधायक का चुनाव जीते। तोखन साहू 2014-15 में महिला एवं बालक कल्याण समिति का सदस्य और साल 2015 में संसदीय सचिव का जिम्मा संभाल चुके हैं।
जांजगीर- चांपा लोकसभा सीट (Janjgir-Champa Lok Sabha Seat) : जांजगीर चांपा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। 2004 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के गुहाराम अजगल्ले ने कांग्रेस के रवि पारसराम भारद्वाज को हराया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिव डहरिया और बीजेपी से कमलेश जांगड़े मैदान में है।
जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से उम्मीदवार : शिव डहरिया 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे। 2003 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने। 2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए। वहीं बीजेपी प्रत्याशी कमलेश जांगड़े 2005 से 2015 के बीच दो बार मसनियां कला गांव की सरपंच चुनी गईं। अपने कार्यकाल में अच्छा काम करने से सर्वश्रेष्ठ सरपंच का खिताब अपने नाम किया। कमलेश साल 2020 में जांजगीर-चांपा जिला की बीजेपी जिला उपाध्यक्ष बनीं और जनवरी 2023 से कमलेश महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हैं।
कोरबा लोकसभा सीट (Korba Lok Sabha Seat) : छत्तीसगढ़ की कोरबा लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव 2009 में हुआ, इससे पहले यह सीट पहले जांजगीर चांपा के अंदर आती थी। पहली बार के चुनाव में कांग्रेस के चरणदास महंत ने बीजेपी की करुणा शुक्ला को हराया था। 2014 में बीजेपी के बंशीलाल महतो ने चरणदास महंत को चुनाव हराया। इसके बाद यहाँ से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बदलकर चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को उम्मीदवार बनाया और बीजेपी प्रत्याशी ज्योति नंद दुबे को हराकर जीत हासिल की।
कोरबा लोकसभा सीट से उम्मीदवार : कांग्रेस प्रत्याशी ज्योत्सना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है। ज्योत्सना महंत को अक्टूबर 2019 को लोकसभा की कमेटी ऑन इंपावरमेंट ऑफ वुमेन की सदस्य और सितंबर 2019 को स्टेंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, इनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सदस्य के तौर पर नियुक्त हुईं। वहीं सरोज पांडे ने साल 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू को हराकर जीत दर्ज की थी।
सरोज पांडेय पहली बार साल 2000 और 2005 में दूसरी बार भिलाई निगम की मेयर बनीं। साल 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक चुनी गईं। 2009 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग से जीत हासिल की लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से हार का सामना करना पड़ा। साल 2018 में उन्हें राज्य सभा के लिए चुना गया।
सरगुजा लोकसभा सीट (Surguja Lok Sabha Seat) : इस सीट को आदिवासी बेल्ट और बीजेपी की परंपरागत सीट माना जाता है। इस सीट पर आदिवासी वोटर्स का झुकाव ही प्रत्याशी की हार- जीत तय करता है। सरगुजा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। इस सीट से बीजेपी ने चिंतामणि महाराज तो वहीं कांग्रेस ने शशि सिंह कोराम को मैदान में उतारा है। इस सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते है। इस सीट पर 1991 और 1996 में कांग्रेस, 1998 में बीजेपी, 1999 में कांग्रेस इसके बाद 2004 से 2019 तक बीजेपी का कब्ज़ा रहा है।
सरगुजा लोकसभा सीट से उम्मीदवार : कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आये चिंतामणि महाराज छत्तीसगढ़ के संत गहिरा गुरु के परिवार से हैं। सरगुजा संभाग में बड़ी संख्या में संत गहिरा गुरु के अनुयायी रहते हैं। चिंतामणि महाराज के चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस बैकफुट पर है। कांग्रेस की युवा नेत्री शशि सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता तुलेश्वर सिंह कांग्रेस सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं।
रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Lok Sabha Seat) : इस सीट पर 1980 से 1984 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। इसके बाद इस सीट पर 1989 से 1998 के बीच एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी ने जीत दर्ज की। लेकिन साल 1999 से 2019 तक बीजेपी ने अपनी जीत का डंका ठोका है। इस सीट से 1999 से 2014 तक वर्त्तमान छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय उम्मीदवार रहे हैं। वहीं 2014 में इस सीट से गोमती साई को उम्मीदवार बनाया था।
रायगढ़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार : इस लोकसभा सीट पर बीजेपी ने राधेश्याम राठिया को तो वहीं कांग्रेस ने डॉ. मेनका देवी सिंह को मैदान में उतारा है। मेनका सिंह राजपरिवार से संबंध रखती है, इसके साथ ही वें रायगढ़ लोकसभा की सांसद रह चुकी पुष्पा देवी की छोटी बहन है। इसके अलावा मेनका सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर चुकी है। वहीं बीजेपी के राधेश्याम राठिया तीन दशकों से पार्टी के लिए वो अलग-अलग पदों पर रहते हुए बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। राठिया ने साल 2018 और साल 2023 में विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए दावेदारी की थी।
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