छत्तीसगढ़ का पहला एथेनॉल प्लांट Raj Express
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छत्तीसगढ़ का पहला एथेनॉल प्लांट, इस महीने होगा शुरू, प्रदूषण कम करने में रहेगा कारगर

Chhattisgarh Ethanol Plant: छत्तीसगढ़ में पहला एथेनॉल प्लांट की विशेषज्ञों के द्वारा टेस्टिंग (Testing) भी शुरू कर दी गई है। यह एथेनॉल प्लांट इस महीने शुरू कर दिया जायेगा।

Deeksha Nandini

Chhattisgarh Ethanol Plant: छत्तीसगढ़ में पहला एथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो गया है। विशेषज्ञों के द्वारा इसकी टेस्टिंग (Testing) भी शुरू कर दी गई है। यह एथेनॉल प्लांट इस महीने शुरू कर दिया जायेगा। कवर्धा के भोरमदेव कारखाने (Bhoramdev Factory Kawardha) के पास से लगे इस प्लांट को फिलहाल गन्ने से शुरू करेंगे। इससे रोजाना 80 किलोलीटर एथेनॉल निकलेगा। एथेनॉल जैव ईंधन है इसका लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता इससे हमारा पर्यावरण संतुलित रहेगा।

सरकार से नहीं मिल पाई अनुमति :

कवर्धा के भोरमदेव कारखाने के पास से लगा एथेनॉल प्लांट फिलहाल धान से नहीं गन्ने से शुरू होगा। इससे रोजाना 80 किलोलीटर एथेनाल निकलेगा। प्रदेश में धान से एथेनाल निकालने के लिए तैयारी पूरी है लेकिन अभी तक भारत सरकार से अनुमति नहीं मिल पाई है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में करीब 20 निजी कंपनियों ने भी इस प्लांट को लगाने की कवायद शुरू कर दी है।

छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन आयुक्त डा. कमलप्रीत सिंह ने कहा, सड़े हुए चावल या एफसीआइ द्वारा विक्रय किए चावल से एथेनाल बनाया जा सकता है। धान से एथेनाल बनाने के लिए अभी अनुमति का इंतजार है।

प्रदूषण को कम करने में होगा कारगर:

बीते 15 जून को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तेलंगाना के किसानों से बातचीत में कहा था कि धान से एथेनाल बनाने के लिए अनुमति देने के संबंध में हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है यदि अनुमति मिलती है तो प्रदेश के किसानों को धान का और भी ज्यादा मूल्य प्राप्त होगा। प्रदेश में धान से एथेनाल बनेगा तो यह छत्तीसगढ़ में प्रदूषण को कम करने के लिए कारगर होगा।

ऐसे होगा कम प्रदूषण:

एल्कोहल टेक्नोलाजिस्ट डा. बीबी गुंजल कहते हैं कि एथेनॉल जैव ईंधन है इसका लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे जब पेट्रोल में मिलाया जाता है तो यह पेट्रोल की ऑक्सीडेशन कैपेसिटी (Oxidation Capacity) को बढ़ा देता है। जिससे कि कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) का एमिशन यानी प्रदूषण कम हो जाता है। पेट्रोल की खपत कम होगी और ईधन बचेगा साथ में पर्यावरण भी संतुलित रहेगा। इसमें गैसोलीन से ज्यादा ऑक्टेन नंबर (Octane Number) होता है। जितना ज्यादा ऑक्टेन नंबर, पेट्रोल उतना बढ़िया माना जाता है। इसलिए एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल का ऑक्टेन नंबर भी बढ़ जाता है। एथेनॉल में पानी और ऑक्सीजन (Oxygen) भी होता, जो इसे बढ़िया विकल्प बनाता है। गाड़ी के इंजन में हवा और फ्यूल का संतुलन जितना बढ़िया होगा, फ्यूल उतना कम प्रयोग होगा।

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