सिम्स के मामले में High Court ने लिया स्वत: संज्ञान RE
छत्तीसगढ़

Bilaspur News: सिम्स के मामले में High Court ने लिया स्वत: संज्ञान, 24 अक्टूबर तक मांगा जबाब

Bilaspur News: इस दौरान जवाब देने के लिए उपस्थित हुए सिम्स के अधीक्षक को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि जो व्यक्ति स्वयं अनफिट है, उसे अधीक्षक कैसे बना दिया गया।

Deeksha Nandini

हाइलाइट्स

  • चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई।

  • कोर्ट ने कहा- जो व्यक्ति स्वयं अनफिट है, उसे अधीक्षक कैसे बना दिया गया?

  • दो दिन के भीतर मांगा व्यक्तिगत हलफनामा।

बिलासपुर। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल सिम्स (Career Institute of Medical Sciences) की बदहाली की खबरों पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। इस दौरान जवाब देने के लिए उपस्थित हुए सिम्स के अधीक्षक को कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि जो व्यक्ति स्वयं अनफिट है, उसे अधीक्षक कैसे बना दिया गया। कोर्ट ने मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव के साथ कलेक्टर को सिम्स अस्पताल की पूरी रिपोर्ट 24 अक्टूबर मंगलवार सुबह 10 बजे तक उपस्थित होकर कोर्ट में पेश करने कहा है।

दो दिन के भीतर मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, सचिव स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य को बुनियादी ढांचे, तैनात डॉक्टरों की संख्या, सुविधाओं और पिछले तीन वर्षों के लिए सिम्स को आवंटित धन और उसके उपयोग के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दो दिन के भीतर दाखिल करने कहा है।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जवाब देने सिम्स के डीन डॉ. के.के. सहारे को जाना था, लेकिन निजी कारणों से वे हाईकोर्ट नहीं पहुंचे। उनकी जगह सिम्स अधीक्षक डॉ. नीरज शिंदे हाईकोर्ट गए बेंच ने उनसे कई सवाल किए। कोर्ट ने अस्पताल में मेडिकल प्रैक्टिशियर की जानकारी मांगी, यह पूछा कि यहां कितने एमडी और कितने एमबीबीएस डॉक्टर हैं ? इसके बारे में भी डॉ. शिंदे जवाब नहीं दे पाए। उनसे स्ट्रेचर और व्हील चेयर के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, केजुअल्टी में 10 व्हील चेयर और 10 स्ट्रेचर हैं। चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि, आप अपने चेंबर तक जाते हैं तो आपकों बदहाली नहीं नजर आती क्या ? मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राज्य की है, हमारे पास बहुत काम है, लेकिन अब हम मजबूर होकर स्वतः संज्ञान ले रहे हैं।

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि, समाचारों और सोशल मीडिया के माध्यम से, सिम्स में खराब कामकाज की स्थिति और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बारे में नियमित रूप से रिपोर्ट आ रही है, लेकिन न्यायालय ने इस उम्मीद के साथ स्वतः संज्ञान लेने से खुद को रोक लिया कि चीजों में सुधार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। लगातार सिम्स की खामियां सामने आ रही हैं। सिम्स पहुंचने वाले मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें बीमारियों का इलाज कराने में कठिनाई हो रही है, इसलिए दशहरा की छुट्टियों के दौरान संज्ञान लेने को विवश हो रहे हैं।

हाईकोर्ट के द्वारा स्वत संज्ञान में लिए याचिका की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एस. सी. वर्मा, अतिरिक्त महाधिवक्ता चंद्रेश श्रीवास्तव और विक्रम शर्मा के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए। महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कोर्ट से कहा कि, सिम्स की स्थिति पर खुद को असहज महसूस कर रहे है। वे अपनी टीम के साथ वहां जाकर बुनियादी सुविधाओं के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

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