स्वास्थ्य योजनाओं का नाम बदलने पर अनुदान बंद कर सकती है केंद्र Social Media
भारत

स्वास्थ्य योजनाओं का नाम बदलने पर अनुदान बंद कर सकती है केंद्र सरकार : डॉ. मनसुख मांडविया

मांडविया ने केंद्र की भागीदारी के साथ संचालित स्वास्थ्य योजनाओं का अलग नामकरण करने वाली राज्य सरकारों को आगाह किया कि ऐसी स्थिति में केंद्र उनके लिए इन योजनाओं में अपने हिस्से का पैसा रोक सकता है।

News Agency

नई दिल्ली। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने केंद्र की भागीदारी के साथ संचालित स्वास्थ्य योजनाओं का अलग नामकरण करने वाली राज्य सरकारों को शुक्रवार को संसद में आगाह किया कि ऐसी स्थिति में केंद्र उनके लिए इन योजनाओं में अपने हिस्से का पैसा रोक सकता है। डॉ. मांडविया ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान अपने मंत्रालय से जुड़े विषयों पर विभिन्न सदस्यों के अनुपूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए इस संदर्भ में पंजाब तथा आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों का नाम भी लिया तथा कहा कि राज्यों को ऐसा न करने की सलाह दी गयी है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “कई राज्य वेलनेस सेंटर जैसे योजनाओं को अपने यहां अलग-अलग नाम दे रहे हैं , ऐसा नहीं करना चाहिए। केंद्रीय सहायता से चलने वाली योजनाएं केंद्र और राज्यों के बीच बाकायदा एमओयू पर हस्ताक्षर (आपसी सहमति के करार) के बाद शुरू की जाती है। उन्होंने कहा कि कोई राज्य यदि एमओयू वाली योजना का नाम बदलने से नहीं मानता है तो उस स्कीम के लिए केंद्र से ग्रांट बंद हो सकती है।”

उन्होंने पंजाब का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां राज्य सरकार वेलनेस सेंटर को ‘मोहल्ला क्लीनिक’ जैसे नाम से चलाने का प्रयास कर रही है। इससे पहले तेलुगू देशम पार्टी के सदस्य के रघुरामकृष्ण राजू ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी आयुष्मान भारत और वेलनेस सेंटर जैसी पहलों के प्रति राज्य में जागरूकता कम है, जिससे आम लोगों को वांछित लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने शिकायत की है कि इसका एक कारण यह भी है कि राज्य सरकार कई योजनओं को अलग नाम से लागू कर रही है।

डाॅ. मांडविया ने कहा कि वेलनेस योजना का लक्ष्य है कि हर पांच-छह हजार की आबादी पर आम लोगों को उनके निवास के आस पास वेलनेस और जांच जैसी स्वास्थ्य की प्राथमिक सुविधाएं मिल सकें। इस योजना में केंद्र और राज्य का योगदान 60 और 40 के अनुपात में होता है। केंद्र इसके तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करने के लिए 10 लाख रुपये अलग से देती है। प्रशिक्षित मानव संसाधन और कंप्यूटर जैसी प्रतिस्थापना सुविधाओं के लिए भी पैसे दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई राज्य एमओयू का उल्लंघन कर रहे हैं , उनसे उन्होंने बात की है तथा पत्र भी लिखे हैं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT