दिल्ली, भारत। देश में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई का दौर जारी है। इस मामले पर आज बुधवार को फिर सुनवाई है। इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की 5 जजों की संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है।
कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा दायर :
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली 15 याचिकाएं दायर हुई है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले पर आज केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया गया है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पार्टी बनाने की मांग की है।
कोर्ट में किसने क्या कहा-
इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामें में कहा- केंद्र सरकार ने 18 अप्रैल को एक चिट्ठी जारी की है और और सभी राज्यों से इस मामले में उनकी राय मांगी है। साथ ही केंद्र ने राज्यों से भी कहा कि वे 10 दिन में इस मामले में अपना नजरिया बताएं।
इसके अलावा सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच से कहा है कि, इस मुद्दे पर फैसला सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुने बिना नहीं किया जा सकता है। राज्यों को कार्यवाही में पक्षकार बनाया जाए।
तो वहीं, इसी के दिन पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें दी गईं। साथ ही केंद्र सरकार ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि, पहले यह तय होना चाहिए कि कौन से मंच पर इस मुद्दे पर बहस हो सकती है। क्या अदालत वैवाहिक रिश्ते की सामाजिक और कानूनी मान्यता न्यायिक फैसले के जरिये तय कर सकती है।
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