राज एक्सप्रेस। लेह, लद्दाख, सियाचिन और डोकलाम जैसे ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में दिन रात ड्यूटी पर तैनात भारतीय जवान देश की सुरक्षा के लिए कितनी मुश्किलों से अपना गुजारा करते हैं, इसका अंदाजा आप सामने आई CAG रिपोर्ट से लगा सकते हैं। जी हां! CAG यानि भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा किया है एवं इस बात का खुलासा तब हुआ जब बीते सोमवार को संसद के दोनों सदनों लोकसभा-राज्यसभा में CAG 2017-18 की रिपोर्ट पेश की गई।
CAG रिपोर्ट के मुताबिक :
इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि, लेह-लद्दाख और सियाचिन जैसे दुर्गम जगहों पर तैनात भारतीय जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों व अन्य सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है। उनके उपयोग में आने वाली जरूरी चीजों जैसे- कपड़े, जूते, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें उनके जरूरत का सामान ही नहीं मिल पा रहा है।
खाने में भी पर्याप्त कैलोरी नहीं :
इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, इन जवानों को उनके खाने में पर्याप्त मात्रा में कैलोरी भी नहीं मिल पा रही है। बताया जा रहा है कि, बर्फीले इलाके में तैनात जवानों को स्नो बूट व अन्य सामान न मिलने के कारण वह अभी पुराने कपड़े और उपकरण से ही काम चला रहे हैं। सैनिकों को रोजाना जरूरत पड़ने वाली एनर्जी के हिसाब से राशन तय किया जाता है, हालांकि बेसिक फूड आइटम की किल्लत की वजह से सैनिकों को 82% तक कम कैलोरी मिली।
CAG ने बताया कि, रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में यह बात कहीं है कि, बजट की कमी एवं सेना की जरूरतों में बढ़ोतरी के कारण भारतीय जवानों को इसका सामना करना पर रहा है।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि, वर्ष 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई, जिस वजह से सेना में इन सामानों की कमी हो गई।
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