अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि Social Media
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Shri Ram Janambhoomi: मंदिर के पुजारी और रसोइए को लेकर होगा बड़ा एलान, 2024 के लिए भाजपा का मास्टर प्लान

अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि: भारतीय जनता पार्टी जो हमेशा विचित्र और ऐतिहासिक फैसलों के लिए जानी जाती है उसने अब 2024 में होने वाले देश के आम चुनाव के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार कर लिया है।

Akash Dewani

अयोध्या, उत्तर प्रदेश। भारतीय जनता पार्टी जो हमेशा विचित्र और ऐतिहासिक फैसलों के लिए जानी जाती है उसने अब 2024 में होने वाले देश के आम चुनाव के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। यह एक ऐसा कदम होगा जिसके बारे में शायद ही कोई सोच रहा होगा। भाजपा 2024 में मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की पवित्र धरती से श्रीराम मंदिर के लिए सबसे बड़ी घोषणा करने वाली है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है लेकिन अयोध्या के गलियारों में इसकी चर्चा तेज है। आइए जानते है क्या हो सकती है वह घोषणा?

अयोध्या श्रीराम मंदिर में होंगे पिछड़ी जाति के सेवार्थी

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में इस बात की चर्चा चल रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2024 के मकर संक्रांति यानी जनवरी या फरवरी के माह में अयोध्या श्रीराम मंदिर जाने वाले है। प्रधानमंत्री के राम मंदिर पहुंचने के बाद यह घोषणा की जा सकती है कि मंदिर के सेवार्थी जिसमे खाना बनाने वाले रसोइए और मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी दलित समाज से होने वाले है। 2024 के आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा का यह फैसला ऐतिहासिक होगा लेकिन इस बात की पुष्टि अभी मंदिर और ट्रस्ट के काम कामकाज देख रहे उच्च अधिकारियों के द्वारा नहीं की गई हैं।

पहले भी दिया गया मंदिर कार्य में दलित समाज पर जोर

5 अगस्त 2020 में हुई श्रीराम जन्मभूमि के भूमि पूजन के बाद सबसे पहला प्रसाद एक दलित महाबीर परिवार के घर पर गया था जिनके घर पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने खाना खाया था। यही नहीं राम मंदिर को बनाने के लिए भी सबसे पहली ईट एक दलित नेता कामेश्वर चौपाल ने ही रखी थी जो अब राम मंदिर ट्रस्ट के 15 सदस्यों में से एक सदस्य है।

श्रीराम जन्मभूमि के भूमि पूजन के समय लगाए गए थे आरोप

केंद्र और उत्तर प्रदेश में बैठी भाजपा का 5 अगस्त 2020 में हुए श्रीराम जन्मभूमि पूजन के बाद विरोध किया गया था कि पूजा के समय मंच पर कई बड़े नेता और लोग मौजूद थे, लेकिन उनमें से बस एक ही ऐसा व्यक्ति था जो शूद्र था और वो थी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल। विपक्षी पार्टियों ने विरोध करते हुए कहा था की भूमि पूजन करवाने वाले पुरोहितों में एक भी शूद्र नहीं था। उनमें अन्य पिछड़े वर्गों और दलितों से यूपी के यादव, जाट या कुर्मी समुदायों से भी कोई नहीं था।

जरूरी है दलित और पिछड़े वर्ग का वोट

2024 के आम चुनावों में भाजपा के लिए दलित वोट बहुत ज्यादा जरूरी है और उसमे भी खास कर उत्तर प्रदेश के दलित वोट क्योंकि आम चुनाव में उत्तर प्रदेश किंग मेकर का रोल निभाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस पार्टी की उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें आती है वही पार्टी केंद्र में सरकार बनाती है। उत्तर प्रदेश में 20 से 21 प्रतिशत दलित समुदाय के लोग रहते है जो उत्तर प्रदेश सरकार और प्रधानमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में 2024 के चुनाव के पहले भाजपा दलित समुदाय को लेकर बड़ा खेला करने की कोशिश में है जिससे हिंदू धर्म के सभी वर्गो को भाजपा के साथ ले जाने की योजना बनाने का अनुमान लगाया जा रहा हैं।

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