बिस्मिल्लाह खान पुण्यतिथि Syed Dabeer Hussain - RE
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बिस्मिल्लाह खान पुण्यतिथि : लाल किले से लगाकर काशी विश्वनाथ मंदिर में बजाई शहनाई

अपनी अद्भुत कला के लिए बिस्मिल्लाह खान को साल 1961 में पद्मश्री, साल 1968 मे पद्म भूषण, साल 1980 में पद्म विभूषण और साल 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया था।

Priyank Vyas

हाइलाइट्स :

  • 1947 में बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की धुन के बीच ही देश ने आजादी का जश्न मनाया था।

  • हिन्दू-मुस्लिम एकता की जीती जागती मिसाल रहे है बिस्मिल्लाह खान।

  • बिस्मिल्लाह खान को 1961 में पद्मश्री, साल 1968 मे पद्म भूषण, साल 1980 में पद्म विभूषण और साल 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया था।

राज एक्सप्रेस। संगीत की दुनिया में शहनाई को एक अलग पहचान दिलाने का काम भारत के मशहूर शहनाई वादक रहे भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान ने किया है। वह शहनाई बजाने में इतने माहिर थे कि जो भी उनको शहनाई बजाते हुए सुन लेता, वह उनका मुरीद हो जाता। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर बालासाहेब ठाकरे तक, हर कोई उनकी शहनाई बजाने की कला का प्रशंसक था। साल 1947 में बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की धुन के बीच ही देश ने आजादी का जश्न मनाया था। हिन्दू-मुस्लिम एकता की जीती जागती मिसाल रहे बिस्मिल्लाह खान की आज पुण्यतिथि है।

बचपन से था संगीत से नाता

बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के बक्सर जिले में एक संगीत घराने में ही हुआ था। उनके मामा अलीबक्श बनारस के मशहूर हिन्दू धार्मिक स्थल काशी विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाने का काम करते थे। महज 6 साल की उम्र में बिस्मिल्लाह खान ने अपने मामा से संगीत की शिक्षा लेना शुरू कर दी थी। वह रोजाना अपने मामा से गंगा किनारे बैठकर शहनाई बजाना सीखते थे।

हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल थे बिस्मिल्लाह

जल्द ही बिस्मिल्लाह खान शहनाई बजाने में इतने माहिर हो गए कि उनके मामा उन्हें अपने साथ काशी विश्वनाथ मंदिर और हिन्दू शादियों में शहनाई बजाने के लिए ले जाने लगे। इस तरह धीरे-धीरे वह पूरे बनारस में मशहूर हो गए। बिस्मिल्लाह खान हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल थे। वह मुस्लिम धर्म से होने के बावजूद माता सरस्वती की पूजा करते थे।

ऐसे बदली किस्मत

बनारस में बिस्मिल्लाह खान की शहनाई के इतने चर्चे हुए कि साल 1937 में उन्हें ‘ऑल इंडिया म्यूजिक कांफ्रेंस कलकत्ता’ में शहनाई बजाने के लिए बुलाया गया। यहां बिस्मिल्लाह खान ने ऐसी परफॉरमेंस दी कि सभी उनके कायल हो गए। इसके बाद साल 1938 में उन्हें ऑल इंडिया रेडियो के लिए परफॉर्म मौका मिला और वह देशभर में मशहूर हो गए।

लाल किले पर बजाई शहनाई

साल 1947 में जब देश को आजादी मिली तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बिस्मिल्लाह खान को बुलाया और उन्हें लाल किले पर शहनाई बजाने के लिए कहा। इस तरह देश ने उनकी शहनाई की धून पर आजादी के जश्न मनाया। इसके अलावा साल 1950 में गणतंत्र दिवस समारोह में भी बिस्मिल्लाह खान ने ऐसा राग छेड़ा कि उसका इस्तेमाल आज तक किया जाता है।

भारत रत्न से सम्मानित

अपनी अद्भुत कला के लिए बिस्मिल्लाह खान को साल 1961 में पद्मश्री, साल 1968 मे पद्म भूषण, साल 1980 में पद्म विभूषण और साल 2001 में भारत रत्न से नवाजा गया था। इसके अलावा भी बिस्मिल्लाह खान को संगीत के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए कई बार सम्मानित किया गया। 21 अगस्त 2006 को बिस्मिल्लाह खान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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