पटना, बिहार। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने राज्य में शराबबंदी को पूरी तरह विफल बताते हुए इससे जुड़े 3 लाख 61 हजार मुकदमे को वापस लेने और जेल में बंद 25 हजार लोगों को रिहा करने की मांग की।
सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बिहार में शराबबंदी पूर्णरूपेण विफल है। केवल नाम मात्र की शराबबंदी है। सरकार शराबबंदी की मरी हुई लाश को ढो रही है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्पीडी ट्रायल की बात करते हैं लेकिन अब तक स्पेशल कोर्ट का गठन नहीं किया है।
भाजपा सांसद ने कहा कि राज्य में शराबबंदी से संबंधित कानून के उल्लंघन के आरोप में करीब 3.61 लाख प्राथमिकी दर्ज है। इनमें 5 लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 25 हजार लोग अभी भी जेल में हैं। इनमें 90 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़ी जाति के हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को आम माफी का ऐलान कर, सभी मुकदमे वापस लेना चाहिए।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि शराब के धंधे में लिप्त किसी भी माफिया को आज तक सजा नहीं मिली है। इसी तरह 6 वर्षों में जहरीली शराब की घटनाओं के लिए दोषी एक भी व्यक्ति को सजा नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि 2016 में मृत्यु के बाद सजा प्राप्त 19 लोगों को पटना उच्च न्यायालय ने मुक्त कर दिया है ।
भाजपा सांसद ने कहा कि ‘जो पिएगा, वह मरेगा’ जैसी टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अंततः दबाव में झुकना पड़ा और जहरीली शराब से मरने वालों के आश्रितों को मुआवजा देने की घोषणा करनी पड़ी।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य सरकार 30 मामलों में 196 मृत्यु की बात स्वीकार कर रही है लेकिन वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में शून्य मृत्यु की बात कह रही है जबकि भाजपा के अनुसार जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 500 से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 की धारा 42 में जहरीली शराब से मौत पर चार लाख रुपए मुआवजा का प्रावधान है। इसी धारा में गंभीर रूप से बीमार को दो लाख रुपया तथा अन्य पीड़ित को 20 हजार रुपया का प्रावधान है। इसलिए, जिनकी आंखें चली गई या जहरीली शराब पीने से विकलांग हो गए उन्हें भी दो लाख रुपया का मुआवजा मिलना चाहिए।
भाजपा सांसद ने कहा कि मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया में पोस्टमार्टम, चिकित्सा प्रमाण पत्र, शराब विक्रेता का नाम आदि जैसी शर्तें नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुआवजे का भुगतान विलंब से करने के कारण मुआवजा ब्याज के साथ दिया जाना चाहिए।
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