पटना, बिहार। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने का निर्देश चाहने वालों की याचिका जब उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दी, तब भी क्या विपक्ष अपनी जिद पर अड़ा रहेगा।
सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में लगातार दूसरी बार निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों नये संसद भवन के उद्घाटन का अनर्गल विरोध करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह बतायें कि उन्हें ब्रिटिश दासता का प्रतीक पुराना ल्युटियन संसद भवन ही क्यों पसंद है। उन्होंने कहा कि यदि हिम्मत है तो उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का निर्णय करने वाले जदयू सहित सभी 19 दलों के सांसद इस्तीफा दें। ललन सिंह कब इस्तीफा दे रहे हैं।
भाजपा सांसद ने पूछा कि नीतीश कुमार ने नये विधानमंडल भवन का उद्घाटन राज्यपाल से क्यों नहीं कराया। जब श्रीमती सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ और मणिपुर विधानसभा के भवनों का उद्घाटन किया, तब राज्यपालों की उपेक्षा क्यों की गई। कांग्रेस शासित छह राज्यों में सरकारी भवनों के शिलान्यास एवं उद्घाटन में राज्यपाल बुलाये तक नहीं जाते, क्यों।
सुशील कुमार मोदी ने पूछा कि कांग्रेस ने वर्ष 1975 में संसद की एनेक्सी का उद्घाटन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से क्यों कराया था। वर्ष 1987 में संसद के पुस्तकालय का उद्घाटन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से क्यों कराया गया। जब तक कांग्रेस और उसके समर्थन से बनी सरकारें केंद्र में रहीं, तब कभी राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने का विचार क्यों नहीं आया।
भाजपा सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ईर्ष्या रखने वाले विपक्षी दल पहले नये संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) के शिलान्यास और फिर उसमें स्थापित अशोक स्तम्भ के शेरों की आकृति के बहाने अपनी हताशा जाहिर कर चुके हैं। अब उन्हें चोल वंश के राजदंड सेंगोल में नंदी की आकृति पर भी आपत्ति हो रही है।
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