BBC Documentary: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी इन दिनों बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर लगातार बयानबाजी के चलते खूब सुर्खियां बटोर रहे रहे हैं। इसी कड़ी में आज फिर जेठमलानी का बयान सामने आया है, जिसमे उन्होंने बीबीसी पर भारत विरोधी होने का आरोप लगाया है।
बता दें कि, बीबीसी को “भारत-विरोधी” संगठन कहने के कुछ दिनों बाद राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने गुरुवार को BBC के चीनी संबंधों को लेकर फिर से मीडिया पर निशाना साधा था। वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने आज बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर अपने बयान में बीबीसी पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने आरोप लगाया हैं। साथ ही कहा- इसके लिए उसे चीनी कंपनी हुआवेई से पैसे मिलते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दिया बयान:
विवादों में घिरी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा- यह दिख रहा है कि BBC चीनी स्वामित्व वाली कंपनियों के माध्यम से पूरी तरह से चीन के साथ आर्थिक रूप से जुड़ा है। डॉक्यूमेंट्री मूल रूप से चीन से प्रेरित है, उनके पास भारत विरोधी प्रचार प्रसार का एक लंबा इतिहास है: BBC डॉक्यूमेंट्री पर वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी
इसके अलावा राज्यसभा सांसद ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा कि, यहाँ #BBCs के पूर्ण रूप से पतन की खबर है: इसने 47000 कर्मचारियों के पेंशन फंड से कम से कम £150 मिलियन का निवेश चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप में किया है। यह इसे एक चीनी जागीरदार और चीन का मुखपत्र बना देता है।
इसके अलावा राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने इसके पहले भी BBC डॉक्यूमेंट्री के विरोध में कई ट्वीट किये हैं। वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने ट्विटर पर एक मीडिया रिपोर्ट का लिंक साझा करते हुए सवाल उठाया कि बीबीसी इतना भारत विरोधी क्यों है? क्योंकि बीबीसी को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने के लिए पैसे की सख्त जरूरत है और इसके लिए उसे चीनी कंपनी हुआवेई से पैसे मिलते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि बीबीसी बिकाऊ है।
डॉक्यूमेंट्री को बैन करने का किया विरोध:
भारत सरकार ने गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' को भारत में प्रतिबंधित कर दिया है। भारत में बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को बैन करने का विपक्षी दलों और छात्र संगठनों ने विरोध किया है। देशभर के कई विश्वविद्यालयों में डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के विरोध में छात्र संगठनों द्वारा इसकी स्क्रीनिंग के प्रयास भी किए गए। इसको लेकर काफी हंगामा भी देखने को मिला। भारत सरकार ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार बताया है।
बता दें, इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को यूट्यूब पर जारी किया गया था, जबकि दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। लेकिन इससे पहले ही सरकार ने इससे संबंधित सभी लिंक पर रोक लगा दी थी।
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