राज एक्सप्रेस। दो बहनों से रेप के मामले में दोषी ठहराए जाने के चलते जोधपुर जेल में बंद आसाराम की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। दुष्कर्म के चलते आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को अब गांधीनगर की एक अदालत ने अपनी महिला शिष्या से दुष्कर्म के एक मामले में दोषी करार दिया है। वहीं सबूतों के अभाव के चलते कोर्ट ने आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन समेत छह अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है वह मामला, जिसके तहत आसाराम को सजा सुनाई गई है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल 6 अक्टूबर 2013 को गुजरात के सूरत की रहने वाली एक महिला ने आसाराम और सात अन्य लोगों के खिलाफ बलात्कार और अवैध तरीके से कैद रखने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। महिला का आरोप है कि साल 2001 से साल 2006 के बीच आसाराम ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। महिला अहमदाबाद के पास मोटेरा में उनके आश्रम में रह रही थी। हालांकि बाद में वह किसी तरह से वहां से बचकर निकलने में सफल रही।
बेटे ने किया था छोटी बहन से रेप :
बता दें कि आसाराम को जिस महिला के साथ दुष्कर्म का दोषी करार दिया गया है, उसी की छोटी बहन के साथ आसाराम के बेटे नारायण साईं ने दुष्कर्म किया था। दोनों बहनों ने अलग-अलग शिकायत दर्ज करवाई थी। इस मामले में कोर्ट ने नारायण साईं को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
कई गवाहों की हो चुकी है हत्या :
आसाराम और उसके बेटे की गिरफ्तारी के बाद इस मामले से जुड़े कई प्रमुख गवाहों की हत्या कर दी गई थी। राजकोट के एक आयुर्वेद चिकित्सक अमृत प्रजापति, आसाराम के रसोइए रहे अखिल गुप्ता और एक गवाह कृपाल सिंह की अलग-अलग मौकों पर गोली मारकर हत्या कर दी गई।
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