BR Ambedkar Jayanti : हर साल 14 अप्रैल का दिन बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के रूप में मानाया जाता है। भारत के संविधान को बनाने में अंबेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, यही कारण है कि उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है। 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में जन्मे बाबा साहेब अंबेडकर जीवन भर गरीबों, वंचितों और समाज में दबे-कुचले लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहे। लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए उन्होंने संविधान में कई महत्वपूर्ण प्रावधान भी किए। लेकिन क्या आप जानते हैं जिस संविधान से आज पूरा देश चलता है, डॉ. भीमराव अंबेडकर कभी उसी संविधान को जलाने की बात तक कह चुके थे। तो चलिए जानते हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा था?
संविधान जलाने वाला पहला व्यक्ति :
दरअसल 2 सितंबर 1953 को राज्यसभा में गवर्नर की शक्तियों को लेकर बहस चल रही थी। इसी दौरान उन्होंने कहा था कि, ‘मेरे दोस्त कहते हैं कि संविधान को मैंने बनाया, लेकिन इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति भी मैं ही होउंगा। बहुसंख्यक यह नहीं कह सकते हैं कि अल्पसंख्यकों को महत्व देने से लोकतंत्र को नुकसान होगा। असल में अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाना सबसे ज्यादा नुकसानदायक होगा।’ गौरतलब है कि अंबेडकर हमेशा से बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के सख्त खिलाफ थे।
क्यों कही जलाने की बात?
राज्यसभा में अंबेडकर की संविधान को जलाने की बात सुनकर सभी चौंक गए थे। लोग जानना चाहते थे कि अंबेडकर ने ऐसा क्यों कहा। मार्च 1955 में एक बार फिर यह मुद्दा राज्यसभा में उठा कि अंबेडकर के ऐसा कहने के पीछे क्या वजह थी।
बाबा साहेब ने सुनाई कहानी :
इस बार बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा कि पिछली बार मैं आपको संविधान जलाने का कारण नहीं बता पाया था। दरअसल वह बात कहने के पीछे कारण यह था कि अगर हम भगवान के रहने के लिए कोई मंदिर बनाते हैं। लेकिन उसमें कोई राक्षस आकर रहने लगे। ऐसे में हमारे पास मंदिर तोड़ने के लिए अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। क्योंकि हमने तो मंदिर भगवान के लिए बनाया था, राक्षस के लिए नहीं।
संविधान संशोधन से नाराज थे अंबेडकर :
दरअसल उस समय अंबेडकर संविधान में किए गए कई संशोधन से नाराज थे। उन्हें लगता था कि अगर संविधान को सही से लागू नहीं किया गया तो देश की 5 फीसदी आबादी लोकतंत्र पर कब्जा कर लेगी और 95 फीसदी आबादी को लाभ नहीं मिल पाएगा।
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