स्टार कास्ट - कनक गर्ग, भगवान तिवारी, सार्थक नरूला
डायरेक्टर - पल्लवी रॉय
प्रोड्यूसर - गुंजन गोयल
स्टोरी :
फिल्म की कहानी राजस्थान के एक गांव में रहने वाले ताऊ भैरो (भगवान तिवारी) और उसके भतीजे भंवर (सार्थक नरूला) की है। भतीजे भंवर का अकेलापन दूर करने के लिए भैरो एक ह्यूमन ट्रैफिकिंग वाले से सांवरी (कनक गर्ग) नाम की एक महिला को पचास हजार रुपए में खरीदता है। भंवर सांवरी से शादी करता है लेकिन सुहागरात के दिन भंवर यह जानकर सदमे में आ जाता है कि सांवरी एक महिला नहीं बल्कि एक ट्रांसजेंडर है। सुबह होने पर भंवर और भैरो यह फैसला करते हैं कि वो इस राज को राज रहने देंगे और सांवरी से घर के कामकाज करवाएंगे। धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता है और भंवर सांवरी को पसंद करने लगता है और यह पसंद कब प्यार में बदल जाती है, इस बारे में खुद भंवर को भी नहीं पता चलता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब एक दिन रात के समय भैरो भंवर और सांवरी को संबंध बनाते हुए देख लेता है। अब भैरो फैसला करता है कि वो भी भंवर की तरह सांवरी के साथ संबंध बनाएगा। अब क्या भंवर भैरो को सांवरी के साथ संबंध बनाने देगा और क्या सांवरी भैरो के साथ संबंध बनाने को राजी होगी और क्या भंवर और सांवरी गांव छोड़कर भाग जाएंगे। इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद पता चलेंगे।
डायरेक्शन :
फिल्म को डायरेक्ट पल्लवी रॉय ने किया है और उनका डायरेक्शन कमाल का है। फिल्म की स्टोरी में काफी नयापन है और स्क्रीनप्ले भी शानदार है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी लाजवाब है और एडिटिंग भी परफेक्ट है। फिल्म का म्यूजिक और डायलॉग भी अच्छे बन पड़े हैं। फिल्म का सेकंड पार्ट फर्स्ट पार्ट की अपेक्षा ज्यादा बढ़िया है।
परफॉर्मेंस :
परफॉर्मेंस की बात की जाए तो फिल्म की एक्ट्रेस कनक गर्ग ने कमाल का अभिनय किया है। फिल्म में उन्होंने ट्रांसजेंडर के किरदार को काफी अच्छे से निभाया है। भगवान तिवारी काफी मंझे हुए कलाकार हैं और इस फिल्म में भी उनका अभिनय काफी दमदार है। सार्थक नरूला ने भी काफी बढ़िया काम किया है। करणमान और गिरीश पाल ने भी ठीक काम किया है। फिल्म के बाकी सभी कलाकारों का काम सराहनीय है।
क्यों देखें :
अनवुमन एलजीबीटी कम्यूनिटी पर आधारित एक बेहतरीन फिल्म है। फिल्म के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि ट्रांसजेंडर भी इंसान हैं, उनकी भी अपनी एक लाइफ है। उन्हें जिस तरह से समाज में हीन भावना से देखा जाता है, वो गलत है। उन्हें भी एक अच्छी और आसान जिंदगी जीने का हक है लेकिन समाज उन्हें उनके इस हक से वंचित करता है। अगर आपको भी एक पुरुष और ट्रांसजेंडर की लव स्टोरी देखना है तो आप यह फिल्म देखने जा सकते हैं।
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