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Sur Lagu De Review : रिश्तों की कहानी बयां करती है विक्रम गोखले की सूर लागू दे

दिवंगत अभिनेता विक्रम गोखले की आखिरी मराठी फिल्म सूर लागू दे इस हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज होगी। कैसी है फिल्म चलिए आपको बताते हैं।

Pankaj Pandey

स्टार कास्ट - विक्रम गोखले, सुहासिनी मुले, मेघना नायडू, रीना मधुकर

डायरेक्टर - प्रवीण एकनाथ बिरजे

प्रोड्यूसर - अभिषेक किंग कुमार, नितिन उपाध्याय

स्टोरी

फिल्म की कहानी मुंबई के चिंतामणि चाल में रहने बुजुर्ग दंपति मोहन दामले (विक्रम गोखले) और राधा दामले (सुहासिनी मुले) की है जो कि पोते मनु और जिया के साथ रहते हैं। मोहन दामले के बेटे और बहु मुंबई ब्लास्ट में मर चुके हैं इसलिए अब बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी खुद मोहन दामले पर है। मोहन दामले की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है और इसी बीच मोहन दामले को यह जानकर झटका लगता है कि पोते मनु को ब्लड कैंसर है और अब उसके ऑपरेशन के लिए डॉक्टर ने पच्चीस से तीस लाख का खर्चा बताया है। अब मोहन दामले के सामने यह चुनौती है कि कैसे वो इतने सारे पैसों का अरेंजमेंट करेंगे। अब क्या मोहन दामले अपने पोते मनु का ऑपरेशन करवा पाएंगे और क्या मनु जिंदा बचेगा। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

डायरेक्शन

फिल्म को डायरेक्ट प्रवीण एकनाथ बिरजे ने किया है और उनका डायरेक्शन बढ़िया है। फिल्म का स्क्रीनप्ले ठीक है लेकिन सिनेमेटोग्राफी और भी बढ़िया की जा सकती थी। फिल्म की एडिटिंग ठीक है और म्यूजिक औसत दर्जे का है। फिल्म के डायलॉग ठीक हैं और प्रोडक्शन वैल्यू भी ठीक है। फिल्म में कई ऐसे इमोशनल सीन्स हैं, जहां पर आपकी आंखें नम हो सकती है।

परफॉर्मेंस

परफॉर्मेस के तौर पर देखा जाए तो फिल्म के लीड हीरो विक्रम गोखले ने दमदार अभिनय किया है। खासतौर पर फिल्म के इमोशनल सीन्स में उनका अभिनय कमाल का है। सुहासिनी मुले ने भी विक्रम गोखले का बखूबी साथ दिया है और फिल्म में उनकी परफॉर्मेंस इंप्रेस करती है। रीना मधुकर ने भी फिल्म में जर्नलिस्ट का किरदार काफी अच्छे से प्ले किया है। मराठी सिनेमा में डेब्यू कर रही एक्ट्रेस मेघना नायडू ने भी अपने ग्रे किरदार में काफी अच्छा काम किया है। आशीष नेवालकर ने भी सराहनीय काम किया है। फिल्म के बाकी किरदारों का भी काम ठीक है।

क्यों देखें

सूर लागू दे एक ऐसे इंसान के संघर्ष की कहानी है, जिसपर उसकी पत्नी के अलावा अपने बेटे के बच्चों की भी जिम्मेदारी है। अब समाज की नजर में उसे नौकरी से रिटायर हो जाना चाहिए लेकिन अपनी स्थिति को देखते हुए वो इंसान अब भी नौकरी कर रहा है क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर वो किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता। अगर आप एक पारिवारिक फिल्म में रिश्तों की कहानी देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।

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