एनिमल ने 6 दिन में अब तक कमाए 526 करोड़
संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म बदल देगी बॉलीवुड की दशा और दिशा
नई और डार्क कहानियों पर फिल्म बनाने की होगी शुरुआत
Animal Movie Analysis : जब से सिनेमा की शुरुआत हुई है, तब से फिल्म निर्माताओं, कहानीकारों और निर्देशकों ने कई बार ऐसी अद्भुत कहानियों को परदे पर उतारा है जिससे उस क्षेत्र का सिनेमा बदल जाता है। एक ऐसी ही फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज़ हुई है जो, बॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों की दशा और दिशा दोनों को पलटने वाली है। इस फिल्म का नाम है एनिमल जिसे निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने लिखा है। इस फिल्म ने वैसे तो, अभी तक सभी रिकार्ड्स को एकतरफा तोड़ते हुए वर्ल्डवाइड 526 करोड़ की कमाई कर ली है लेकिन इस कमाई के इतर भी कुछ ऐसे विषय है जो इस मूवी के आने के बाद बदलने वाले है। चलिए, जानते है कि कैसे यह फिल्म हिंदी भाषी सिनेमा यानी बॉलीवुड को बदलकर रख देगी।
बॉलीवुड ने कुछ ही अच्छी और शानदार एडल्ट यानी 18+ मूवीज बनी है लेकिन वो सभी मूवीज या तो फ्लॉप होती है या फिर अंडररेटेड रह जाती है। बॉलीवुड कभी भी एडल्ट सर्टिफिकेट वाली मूवीज को बनाना सिख ही नहीं पाया जो सिनेमा हॉल्स में आए दर्शकों का मनोरंजन कर सके। एडल्ट फिल्मों के नाम पर कमर्शियल सिनेमा में बॉलीवुड द्वारा ज्यादातर सिर्फ गाली-गलोच और इंटिमेट सीन्स से भरी हुई मूवीज ही हमे परोसी गयी है। इसका सबसे बड़ा कारण कही न कही सेंसरबोर्ड भी होता जिसने ऐसी मूवीज जो 'ए' सर्टिफिकेट वाली कहानियों को रिलीज़ न होने देने के भर्सक प्रयास किया है।
अनुराग कश्यप जैसे बड़े निर्देशकों की सच्चाई से जुड़ी कहानियों को भी रोका गया है। बहरहाल, संदीप रेड्डी वांगा की एनिमल ने एडल्ट फिल्म बनाने की सीमाओं को जिस तरह आगे बढ़ाया है उससे कई फिल्ममेकर्स को सीख मिलेगी कि कैसे बिना ज्यादा गाली गलोच और बेहतर कहानी के साथ आप बढ़िया एडल्ट फिल्म बना सकते है जो दर्शकों को सिनेमाहॉल्स तक खींचकर लाए और उन्हें लाइफ टाइम एक्सपीरियंस भी दे।
भारत में कमर्शियल एक्शन फिल्मों के नाम पर जितना वायलेंस और खून-खराबा दिखाया जाता है वह हॉलीवुड में बन रही डार्क और डीप कहानियों के आस-पास होती है। हॉलीवुड में डार्क फिल्में इस कदर बनती है की वह दर्शकों की रूह कंपा देती है। ऐसी इंटेंस और वायलेंट कहानियां दर्शकों को सिक्के का दूसरा पहलु भी दिखाती है कि दुनिया में सिर्फ अच्छे ही नहीं बल्कि उससे भी ज्यादा बुरे लोग रहते है शायद आपके आस पास भी हो सकते है। एनिमल ने एक मनुष्य के इसी हिस्से को दिखाने का प्रयास किया है जो मानवता की सभी सीमाएं लांघ कर जानवर में तब्दील हो जाता है।
ऐसी मूवीज एक मनुष्य के उस हिस्से की भी बात करती है जिसे वह सोचता तो है लेकिन कर कभी नहीं पाता है इसीलिए ही एक एक्टर को बड़े परदे पर ऐसे सीन्स करते देख उन्हें यह लगता है कि वह खुद उस सीन को कर रहा है। इसीलिए ऐसी एक्शन और वायलेंट फिल्म्स को फैंटसी मूवीज कहा जाता है। एनिमल को संदीप रेड्डी वांगा ने इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही बनाया है ताकि दर्शक जिस प्रकार का मनोरंजन और जोश एक फिल्म से चाहते है वह उन्हें मिल सके। एनिमल के बाद अब उन निर्देशकों की कहानियों को भी दर्शक मिलेंगे जो डार्क, वायलेंट और खून खराबे से भरी हुई नई और अद्भुत कहानियों पर फिल्मे बनाना चाहते है। हालांकि, संदीप रेड्डी वांगा ने एक इंटरव्यू के दौरान पहले ही बता दिया है कि एनिमल का भाग-2 एनिमल पार्क ज्यादा वायलेंट और डार्क होने वाली है।
बॉलीवुड में बहुत ही तेज़ी से संगीत स्तर गिरते हुए दिखा है। एक तरफ जहाँ बॉलीवुड फिल्मों में सीन के हिसाब से संगीत उपयोग किया करता था वह अब देखने को मिलता है। वहीं, दूसरी तरफ बॉलीवुड में कभी भी बैकग्राउंड म्यूजिक को महत्व नहीं दिया जाता था जिसकी वजह से भी लोग बॉलीवुड फिल्मों के बजाए साउथ इंडियन फिल्मों की तरफ जा रहे थे। वांगा ने इस विषय में भी एनिमल में काफी प्रयोग किए जिसके तहत उन्होंने एक हिंदी फिल्म में तीन गैर हिंदी भाषी सांग्स का उपयोग किया है।
यह तीनों सांग्स ने फिल्म को और भी मनोरंजक बना दिया है। बॉलीवुड में भी अब ऐसी कमर्शियल एक्शन फिल्मों में कहानी के हिसाब से संगीत का उपयोग और बैकग्राउंड म्यूजिक चलन शुरू हो सकेगा। रील्स और शॉर्ट्स के ज़माने में जहां म्यूजिक कम्पोज़र्स ऐसे गाने बनाने की ओर जाते है जहाँ उन्हें लाइक्स और व्यूज मिल सके वहीं, संदीप वांगा की अर्थपूर्ण गीत से भी दर्शकों का मनोरंजन किया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अर्जन वैली सांग जो कि सिख समाज के इतिहास से ही लिया गया है।
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