स्टार कास्ट - प्रभास, पृथ्वीराज सुकुमारन, श्रुति हासन
डायरेक्टर - प्रशांत नील
प्रोड्यूसर - विजय किरगंदर
फिल्म की कहानी डायरेक्टर प्रशांत नील द्वारा बनाई गई दुनिया खानसार की है। इस दुनिया में दो दोस्त रहते हैं, एक का नाम है देवा (प्रभास) और दूसरे का नाम है वर्धा (पृथ्वीराज सुकुमारन)। वर्धा को बचाने किए देवा पहलवान से भी लड़ जाता है और वर्धा अपनी दोस्ती निभाने के लिए खानसार में मिले उसे पद की भी कुर्बानी दे देता है। वर्धा देवा को बोलता है कि वो इस दुनिया से कहीं दूर चला जाए। देवा वर्धा की बात मान लेता है और खानसार शहर छोड़कर चला जाता है। पूरे 25 साल बाद वर्धा को लगने लगता है कि अब खानसार में उसकी जान खतरे में है तो वो मदद लिए देवा के पास जाता है। अब क्या देवा अपनी दोस्ती निभाएगा और क्या अपने दोस्त वर्धा को खानसार की गद्दी पर बैठने देगा। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म को डायरेक्ट प्रशांत नील ने किया है जो कि इससे पहले केजीएफ सीरीज की फिल्में बना चुके हैं। इस बार भी प्रशांत नील ने अपने डायरेक्शन से निराश नहीं किया है और यह साबित कर दिया है कि किसी भी तरह की दुनिया बनाने में उनसे ज्यादा माहिर कोई नहीं है। फिर चाहे वो अपने लीड हीरो को लार्जर देन लाइफ दिखाना हो या फिर धुंआधार एक्शन सीक्वेंस दिखाना हो। फिल्म का स्क्रीनप्ले शुरुआत में थोड़ा स्लो है लेकिन जैसे-जैसे फिल्म की रफ्तार बढ़ती है, वैसे-वैसे स्क्रीनप्ले की रफ्तार भी बढ़ने लगती है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी लाजवाब है और बैकग्राउंड म्यूजिक शानदार है। फिल्म की लंबाई बस दस मिनट कम होती तो शायद बात और बन सकती थी। फिल्म के डायलॉग भी अच्छे हैं और शरद केलकर की आवाज प्रभास पर सूट करती है।
परफॉर्मेंस की बात करें तो प्रभास ने बढ़िया काम किया है। एक्टिंग से ज्यादा फिल्म में प्रभास ने खुद के स्वैग और एक्शन पर ज्यादा काम किया है। पृथ्वीराज सुकुमारन ने भी बेहतरीन काम किया है, खासतौर पर क्लाइमेक्स सीन में उनका एक्शन सीक्वेंस काफी प्रभाव छोड़ता है। श्रुति हासन ने भी ठीक काम किया है लेकिन उनका स्क्रीन टाइम सिर्फ फर्स्ट हाफ में ज्यादा है। श्रेया रेड्डी ने भी शानदार काम किया है। जगपति बाबू ने भी कम स्क्रीन टाइम होते हुए भी प्रभावित किया है। ईश्वरी राव, टीनू आनंद और रामचंद्रन राजू का काम ठीक है। फिल्म के बाकी कलाकारों का भी काम ठीक है।
सालार पार्ट वन सीजफायर मारधाड़ और वायलेंस से भरी हुई मास एक्शन एंटरेनर फिल्म है। फिल्म में कई कमियां हैं लेकिन प्रशांत नील का दमदार डायरेक्शन फिल्म को ऊपर उठाता है। फिल्म के क्लाइमेक्स में जो ऐक्शन सीक्वेंस है, वो देखने ही लायक है। अगर आपको एक्शन और मारधाड़ से भरी हुई फिल्में देखना पसंद है और आप भी सालार पार्ट वन सीजफायर के सेकंड पार्ट सालार पार्ट टू शौर्यांग पर्वम को ज्यादा अच्छे से समझना चाहते हैं तो आपको यह फिल्म देखनी होगी।
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